जीवात्मा को परमात्मा से मिलने का नाम ही महारास हैं: पं अनुराग कृष्ण शास्त्री

टिकैतनगर,बाराबंकी| आदर्श नगर पंचायत टिकैतनगर के श्री दुर्गा पूजा पंडाल पर त्रिजुगी नारायण यज्ञसेनी व यज्ञसेनी परिवार के द्वारा आयोजित श्री मद भागवत कथा के षष्टम दिवस में काशी से आए कथा वाचक पण्डित अनुराग कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने बहुरूप धारण किया अर्थात जितनी गोपियां थी उतने ही भगवान श्री कृष्ण अपने स्वरूप बनाते हैं। और यमुना पुलिन पर घेरा बनाकर एक गोपी एक कृष्ण के क्रम से घेरा बनाते हैं। उसमें भगवान महादेव भी चंद्र सखी का रूप बना करके महारास में सम्मिलित होते हैं। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ महारास रचने लगे उस समय आकाश मंडल में समस्त देवी देवता अपने अपने परिवार के सदस्यों के साथ विमानों पर आरूढ़ होकर महारास का दिव्य दर्शन किया। प्रत्येक गोपी को लगने लगा कि कृष्ण मेरे पास ही है। अर्थात् एक गोपी एक कृष्ण के क्रम से भगवान् श्रीकृष्ण महारास प्रारम्भ करते हैं इस प्रकार रास लीला करते करते भगवान् श्रीकृष्ण के मन में विचार आया तो गोपियों को ले यमुना जी के जल में उतरकर जलक्रिडा करने लगे। और गोपियों का मनोरथ पूर्ण कर घड़ी रात बाकी रही तब श्री कृष्ण गोपियों से कहने लगे कि तुम अपने अपने घर जाओ। इतना सुनते ही गोपियां उदास हो गई और कहने लगी प्रभु अब यह मन आप से अलग होने की सोच भी नही सकता हैं तदोपरांत बड़े ही हर्षोल्लास के साथ रुक्मणि जी का विवाह सम्पन्न हुआ जिसे देख श्रद्धालु थिरकने पर मजबूर हो गए जिसके बाद विश्व प्रसिद्ध मां गंगा जी पावन आरती का अद्भुत दृश्य भक्तों को दर्शन कराया गया।इस अवसर पर पं आचार्य शुभम् कुमार मिश्रा, पं ओंकार नाथ तिवारी,पं इन्द्र प्रकाश पाण्डेय एवम् प्रतीक मिश्रा,नीरज गुप्ता, विकास सिंह,विकास पांडेय,वेद नारायण मिश्र, आलोक यज्ञसेनी, रामबाबू यज्ञसेनी, मुन्नीलाल यज्ञसेनी, रवि यज्ञसेनी सहित तमाम श्रोता उपस्थित रहे।

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