इन्हौना अमेठी । मां अहोरवा भवानी के दर्शनों से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। द्वापर कालीन मन अहोरवा भवानी के बारे में मान्यता है कि पाडवों ने परिवार के साथ अज्ञातवास के दौरान पूजा अर्चना की थी। नवरात्र के महीनों में भक्तों की अपार भीड़ होती है। वर्ष भर मा के भक्त प्रत्येक सोमवार को मां के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की मां से आराधना करते अमेठी जनपद के सिंहपुर ब्लाक मुख्यालय से चंद किमी की दूरी पर स्थित मां अहोरवा देवी को भक्त आदि शक्ति मान कर पूजा अर्चना करते हैं। क्षेत्र के लोग मां अहोरवा को अपना ईष्ट मानते हुए घर के सारे मागलिक कार्य देवी के आशीर्वाद के साथ शुरू करते हैं। मां भवानी पर आस्था रखने वाले कु छ ऐसे परिवार भी हैं जो घर के मुंडन छेदन शादी विवाह जैसे आयोजन मां के दर्शनों के साथ शुरू करते हैं। भक्तों की मां अहोरवा पर इतनी आस्था है कि मां अहोरवा के आशीर्वाद के साथ शुरू किए गए कार्य में सफ लता अवश्य मिलेगी। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्त मां के दरबार की परिक्रमा भी करते हैं। भक्तों की मान्यता है कि महाभारत कालीन मां अहोरवा भवानी की पूजा अर्चना से ही पाडवों को महाभारत में कौरवों पर विजय मिली थी। जिस क्षेत्र में मां अहोरवा भवानी का मंदिर है उसे गाडीव तालुका कहा जाता है। क्षत्रिय वंश के गाडीव बैश कु ल के क्षत्रियों की कु ल देवी की मान्यता मां अहोरवा देवी को मिली है। अमेठी जनपद के सिंहपुर ब्लाक तथा बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ ब्लाक के तीन सौ साठ गावों को जोड़कर गाडीव तालुका कहा जाता है। इस तालुका में रहने वाले क्षत्रिय परिवार आज भी अपने कुल की परंपरा के अनुसार मां अहोरवा भवानी को कु ल देवी मानते हुए पूजा अर्चना करते हैं। चैत्र व शारदीय नवरात्रि में मां के भक्तों की प्रत्येक दिन भीड़ जुटती है। खासकर व्रत अनुष्ठान करने वाले भक्त मां के दर्शन से ही अपने अनुष्ठान की शुरुआत करते हैं। भक्तों की आस्था है कि अहोरवा देवी के दर्शन से नि:संतान को संतान घर की बाधाएं तथा नेत्र व अन्य रोगों से माता के दर्शन से मुक्ति मिलती है। बड़ी संख्या में भक्त मां के जलाभिषेक से बहने वाले नीर से आंखों व अन्य प्रकार के असाध्य रोगों से मुक्ति का प्रसाद मानते हुए रोग वाले स्थान पर लगाकर रोगों से मुक्ति पाते हैं। मां के दर्शनों के लिए दूर-दराज के जनपदों के हजारों भक्त चैत्र नवरात्रि में भक्तों का जमावड़ा होता है।