केंद्र सरकार ने मणिपुर हिंसा के बीच लिया अहम फैसला…

नई दिल्ली। मणिपुर में जारी हिंसा के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है। गृह मंत्रालय ने मैतेई समुदाय के 9 संगठनों को चरमपंथी संगठन घोषित किया है। साथ ही संगठनों पर कुछ सालों के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है।

गृह मंत्रालय ने आज पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और इसकी राजनीतिक शाखा, रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) को चरमपंथी संगठन घोषित किया है। इन संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है।

किन-किन संगठनों पर लगा प्रतिबंध?
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए)
रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ)
यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ)
मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए)
पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके)
रेड आर्मी, कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी)
कांगलेई याओल कनबा लुप (केवाईकेएल)
समन्वय समिति (कोरकॉम)
एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेईपाक (एएसयूके)

13 नवंबर तक मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध
अभी कुछ दिनों पहले मणिपुर की सरकार ने मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध को बढ़ाने का एलान किया था। राज्य सरकार ने मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध को आज यानी 13 नवंबर तक के लिए बढ़ाया है। अधिकारियों ने बताया था कि प्रतिबंध उन चार पहाड़ी जिला मुख्यालयों में लागू नहीं किया जाएगा, जो जातीय संघर्ष से प्रभावित नहीं हैं।

क्यों बढ़ाया गया प्रतिबंध?
सरकार का मानना है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाओं को भड़काने वाली तस्वीरें, नफरत भरे वीडियो प्रसारित करने के लिए बड़े पैमाने पर इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। वायरल तस्वीरों और वीडियो से कानून व्यवस्था पर गंभीर असर हो सकता है। सितंबर में कुछ दिनों को छोड़कर मणिपुर में तीन मई से जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा हुआ है।

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