भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाए गए थे चितबड़ागांव नगर पंचायत के ईओ
प्रशासनिक कार्यकाल में किया था करोड़ों का घोटाला
डीएम शासन को लिख चुके हैं पत्र फिर भी नहीं हुई कार्रवाई
बलिया। जहां बेदर्द हाकिम हो वहा फरियाद क्या करना। किसी शायर की यह पंक्ति मौजूदा समय में योगी सरकार पर सटिक चरितार्थ हो रही है। कारण कि भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी पाए जाने तथा जिलाधिकारी द्वारा शासन को कार्रवाई करने की सिफारिश के बावजूद ईओ अनिल कुमार के खिलाफ कार्रवाई न होने पर बीते सोमवार को आठवें दिन भी सभासदगण नगर पंचायत चितबड़ागांव में तालाबंदी जारी रखा। सभासदगणों ने अब मन बना लिया है कि जब तक ईओ की विदाई नहीं होगी तब तक चितबड़ागांव में तालाबंदी जारी रहेगी।
बता दें कि चितबड़ागांव नगर पंचायत के ईओ अनिल कुमार के खिलाफ नौ महीने पहले सभासदगण लामबंद होकर जिलाधिकारी के यहां पत्रक सौंपा था। ईओ अनिल कुमार के खिलाफ आरोप लगा था कि प्रशासनिक कार्यकाल में ईओ अनिल कुमार द्वारा कंबल वितरण, डस्टबीन, कब्रिस्तान का बाउंड्रीवॉल, हैंडपंप, स्ट्रीट लाइट आदि में करोड़ों रूपए का घोटाला किया। डीएम रविंद्र कुमार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए एडीएम के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी की गठित की। फलस्वरूप जांच समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट बीते 10 नवंबर 2023 को जिलाधिकारी को सौंप दिया। जिसमें जिक्र किया गया था कि सभासदों द्वारा लगाए गए आरोप बिल्कुल सही है। कंबल वितरण, डस्टबीन, कब्रिस्तान का बाउंड्रीवॉल, हैंडपंप, स्ट्रीट लाइट में ईओ अनिल कुमार द्वारा करोड़ों का घपला किया गया है। इसके बाद जिलाधिकारी ने बीते 20 नवंबर 2023 को शासन को पत्र लिखकर ईओ अनिल कुमार के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की थी। लेकिन अफसोस तीन महीने बीत जाने के बावजूद ईओ के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अब सभासदों व स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है कि हैसियत के मामले में शायद जिलाधिकारी रविंद्र कुमार से ईओ अनिल कुमार का कद बड़ा है। तभी अभी तक कुछ नहीं हो पाया। वहीं सरकार के विपक्षियों का कहना है कि योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति सिर्फ हवा-हवाई है।