ज्ञान का दीपक जलाना है, बाल विवाह मिटाना है….

बलिया। पुलिस लाइन में एसपी एस आनंद ने सभी पुलिस अधिकारियों तथा कर्मचारियों को सोमवार की सुबह बाल विवाह मुक्त भारत की शपथ दिलाई। इस दौरान नारा लगाया गया कि ज्ञान का दीपक जलाना है, बाल विवाह मिटाना है।
इस अवसर पर एसपी एस आनंद ने कहा कि बाल विवाह कुप्रथा का प्रचलन मध्यकाल में हुआ, जब विदेशी–विधर्मी यवन–तुर्क आक्रान्ताओं ने अपनी वासना की पूर्ति के लिए कन्या अपहरण एवं जबर्दस्ती रोटी–बेटी का सम्बन्ध बनाने की कुचाल चली।
इस कारण भारतीय समाज में अशिक्षित एवं अशक्त लोगों ने अपनी कन्या का बालपन में ही विवाह कराना उचित समझा। दहेज–प्रथा के कारण भी बाल–विवाह का प्रचलन हुआ। बालक–बालिका पूर्णतया नासमझ रहने से अपने विवाह–संस्कार का विरोध भी नहीं कर पाते और बाल–विवाह में अधिक दहेज भी नहीं देना पड़ता। इसी कारण यह कुप्रथा निम्न–मध्यम वर्ग में विशेष रूप से प्रचलित हुई। कहा कि संस्कार में कन्यादान पवित्र मांगलिक कार्य माना जाता है। परन्तु मध्यकाल में इसमें उत्तरोत्तर विकृतियां आने लगीं, फलस्वरूप लोग कन्या को भार मानने लगे तथा बालपन में ही उसका विवाह करवा कर अपने कर्तव्य से मुक्त होने लगे। इससे समाज में अनेक समस्याओं का जन्म हुआ। जनसंख्या की असीमित वृद्धि तथा निम्नवर्ग के जीवन–स्तर में लगातार गिरावट का एक कारण यह भी है। इन सब बुराइयों को देखने से बाल–विवाह हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है।

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