हमीरपुर : राष्ट्रीय शिक्षा नीति में केंद्र सरकार का विशेष ध्यान प्राथमिक शिक्षा को रुचिकर और सहज बनाने पर है। ताकि बच्चे खेल-खेल में लगन से पढ़ें और सीखें। ऐसे में सरकारी अध्यापकों के कुछ निजी प्रयासों से भी सुखद परिणाम दिख रहे हैं। ऐसा ही नवाचार हमीरपुर के सिकरी गांव स्थित सरकारी विद्यालय की सहायक अध्यापिका गरिमा ने किया है। उन्होंने भाषा और गणित में विद्यार्थियों को पढ़ाई से जोड़ने और उनके अधिगम स्तर को बढ़ाने के लिए आइडी लर्निंग कांसेप्ट अपनाया है। इससे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है और उनकी समझ का स्तर बेहतर हुआ है।
शिक्षिका गरिमा ने बताया कि सरकार की मंशा के अनुरूप बच्चो को निपुण बनाने के लिए स्कूल में विद्यार्थियों का ठहराव और उन्हें पढ़ाई से जोड़ना बड़ी चुनौती थी। इससे निपटने के लिए सहायक अध्यापिका गरिमा ने अपने स्तर से कक्षावार तमाम पाठ्यसामग्री को परिचय पत्र का रूप दिया। इन्होंने इसमें हिंदी, विज्ञान, अंग्रेजी और गणित की प्राथमिक जानकारी वाले तथ्य शामिल किए। परिचय पत्र की सामग्री इन्होंने स्वयं ही बच्चों का स्तर समझकर तैयार की है। उनका कहना है कि जो बच्चे देरी से सीख पाते हैं उन बच्चो के सीखने में ईजाफा हुआ हैं। परिचय पत्र के जैसे ये कार्ड सुबह सभी बच्चों में बांट दिए जाते हैं और बच्चे इन्हे गले में लटकाकर उस विषय का प्रचारक बन जाते हैं। गणित के कार्ड का बच्चा सूत्र और पहाड़ों की जानकारी देता है और हिंदी का बच्चा विलोम शब्द बताता है। बच्चे एक दूसरे से उस विषय से संबंधित प्रश्न भी पूछते हैं और बच्चे गंभीरता से एक दूसरे का कार्ड भी पढ़ते हैं। विद्यालय से अन्य अध्यापक भी इसी कार्ड की विषयवस्तु को पाठ से जोड़कर अध्यापन करते हैं। इस प्रयोग के जरिए इनका विद्यालय भी निपुण विद्यालय बन चुका है।