सूरजकुंड मेले में आए हस्तशिल्प कलाकार हुए अनदेखी का शिकार

फरीदाबाद । सूरजकुंड में लगा 37 वां अंतराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला जिसे हस्तशिल्प कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए हर बार आयोजित किया जाता है। हस्तशिल्प कलाकार मेला प्रबंधकों पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि उन्हें मेले से इतनी दूर रखा गया है कि उनकी कई- कई दिनों तक तो बोहनी भी नहीं होती है। उन्होंने बताया की जिस उम्मीद के साथ वह लोग मेले में आए थे उन्हें लगता नहीं की मेले में वह स्टॉल का किराया भी निकाल पाएंगे ।

मेले में उड़ीसा से आए हस्तशिल्प कलाकार स्टॉल नंबर 727 पर पट्टचित्रकला में नेशनल अवॉर्ड प्राप्त कर चुके निरंजन महाराणा बताया कि वह पिछले कई वर्षों से सूरजकुंड मेले में अपनी हस्तशिल्प कला का प्रदर्शन करते आ रहे हैं हर बार उनकी हस्तशिल्प कला को लोग खूब पसंद करते रहे हैं और वह यहां पर अपना सामान बेचकर मुनाफा कमा कर हर बार जाते रहे हैं। इस बार भी जब बीते 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम मंदिर का उद्घाटन हुआ तो उन्हें उम्मीद थी कि उनके द्वारा डेढ़ साल तक मेहनत कर बनाई गई 20 लाख की पट्टचित्र रामायण को लोग पसंद करेंगे और उनके द्वारा बनाई रामायण मेले में इस बार अवश्य बिक जाएगी। जिस उम्मीद के साथ वह मेले में आए थे उनके साथ ऐसा नहीं हुआ उन्हें मेले में सबसे लास्ट में स्टॉल दी गई जो की चौपाल से काफी दूर पड़ती है।

चौपाल के आसपास फूड स्टॉलों को बढ़ावा दिया जा रहा है उनके स्टॉल दूर होने के चलते कई दिनों तक तो उनकी बोहनी भी नहीं हुई और जब उनकी बोहनी होती है तो वह मात्र 500 रुपए तक ही पूरे दिन में कमा पाते है । वहीं निरंजन महाराणा ने बताया कि मेला प्रबंधक हस्तशिल्प कलाकारों की अनदेखी करते हुए फूड स्टालों और रेडीमेड सामान से बनी दुकानों को चौपाल के आसपास जगह देते हैं,जिसके चलते न केवल मेले में आने वाले वीवीआईपी बल्कि बड़े खरीदार उन तक नहीं पहुंच पाते हैं जिसके चलते उन्हें इस बार मेले में उनके सामान की बिक्री नहीं हो रही है।

निरंजन महाराणा ने बताया कि वह अकेले नहीं है मेले में ज्यादातर हस्तशिल्प कलाकारों को चौपाल से दूर रखा गया है।जिसके चलते उन्हें भी कुछ इसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। निरंजन महाराणा और उनके साथ आए हस्तशिल्प कलाकार ने मेला प्रबंधकों से मांग करते हुए कहा की वह चाहते हैं की हस्तशिल्प कलाकारों को चौपाल के आस पास जगह दी जानी चाहिए ताकि मेले में आने वाले हस्तशिल्प कलाकारों तक आसानी से वीवीआईपी और बड़े ग्राहक पहुंच पाए।

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