हरा चारा तो दूर… भरपेट भूसा भी नसीब नहीं, गौशालाओं में भूख से बिलबिला रहे गोवंश

  • प्रतिमाह गोवंशों चारे के लिए आने वाला आधा पैसा स्वयं डकार रहें गोशाला संचालक
  • लखनऊ। ये तो सभी जानते होंगे कि एक गोवंश को खाने के लिए रोजाना कितने चारे की जरूरत होती है, लेकिन गोशालाओं में गोवंशों को जिंदा रहने भर का भी चारा नहीं मिल रहा है।गोवंशो को हरा चारा व भूसे के लिए आ रहा सरकारी पैसा गोशाला संचालक हर महीने गोलमाल कर रहे हैं।चारे के अभाव में गोवंश कमजोर होते जा रहे हैं। धीरे-धीरे वे दम तोड़ देते हैं। ये हाल बीकेटी नगर पंचायत द्वारा अकोहरी गांव में संचालित कान्हा गोशाला का है।जहां गोशाला में रखे गए 161 गोवंशो को हरा चारा तो दूर भरपेट सूखा भूसा भी नहीं दिया जा रहा है।उन्हें सिर्फ जिंदा रहने के लिए ही सूखा भूसा व पुआल खाने को दी जा रही है,कि जिससे वे सिर्फ जिंदा रह सके।ऐसा हाल केवल बीकेटी की कान्हा गोशाला का ही नहीं ग्राम पंचायतों में भी हाल कुछ ऐसा ही है। कहने को तो यहां भूसा व दाना उपलब्ध है, लेकिन केवल देखने के लिए। गोवंशों को केवल नाम मात्र के लिए ही चारा दिया जाता है। इसके पीछे गोशाला में तैनात कर्मचारियों की भी मजबूरी है। क्योंकि उन्हें प्रतिदिन एक गोवंश को जितना भूसा देने को बताया गया है।वह उतना ही तो भूसा प्रति गोवंश को देंगे। जबकि रोजाना 50 रुपये प्रति गोवंश पर खर्च करने का पैसा सरकार भेजती है।
  • बता दें कि इस समय भूसे की कीमत 600 रुपये प्रति कुंतल है।ऐसे में भी एक गोवंश को भरपेट भूसा नहीं मिल रहा है। दाना व हरे चारे की तो उम्मीद करना भी बेमानी होगा।पशुपालन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि एक गोवंश को जीवित रहने के लिए प्रतिदिन औसतन पांच किलो भूसा व एक किलो दाना की जरूरत होती है।अगर इससे कम चारा उसे मिलेगा तो उसकी हालत गिरने लगेगी। इतना ही नहीं हरा चारा भी पशुओं की सेहत के लिए अनिवार्य है।लेकिन अस्थाई और स्थाई गौशालाओं में गोवंशो को हरा चारा व दाना तो छोड़िये उन्हें सिर्फ आधा पेट ही सूखा भूसा खाने को दिया जा रहा है।जिससे उनकी सेहत बिगड़ रही है।जबकि गोवंशों का संरक्षण प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में शामिल है।गोवंशो के संरक्षण के लिए बीकेटी क्षेत्र में ग्राम पंचायतों में 18 व बीकेटी,महोना व इटौजा नगर पंचायतों में एक एक गोशाला बनाई गयीं हैं।जहां पर संरक्षित गोवंशो की देखरेख की जिम्मेदारी नगर पंचायतों व ग्राम पंचायतों की दी गई है,लेकिन देखरेख के अभाव में मवेशियों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना कि इन गौशालाओं में बंद गोवंशों को भूखा देख बहुत ही तरस आता है।और गोशाला संचालकों के ऊपर गुस्सा आता है कि जब सरकार प्रति माह इनके भरण पोषण का पर्याप्त पैसा भेज रही है,तो फिर इनको अपना पेट भरने के लिए पर्याप्त चारा क्यों देते हैं। विश्व हिंदू परिषद के अवध क्षेत्र के जिलाध्यक्ष अधिवक्ता रामप्रकाश सिंह कहते हैं कि गौशालाओं में गायों व अन्य गोवंशीय की दुर्दशा है,जबकि सरकार बराबर हर महीने गोवंशो के भरण पोषण के लिए पर्याप्त पैसे भेज रही है।वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गाय प्रेम किसी से छिपा नहीं है।फिर भी गोशाला संचालकों में खौफ नहीं है,कि गोवंशो को चारे के लिए आने वाले पैसे का गोलमाल न करें।और उन्हें पर्याप्त चारे का इंतजाम करें।उन्होंने यह भी कहा कि गायों के प्रति उनकी इस संवेदनशीलता का ही नतीजा है कि राज्य में सरकार बनने के बाद से ही गायों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और उनकी देखभाल के लिए कई फ़ैसले लिए गए, गोशालाएं बनवाने के निर्देश दिए गए और बजट में अलग से इसके लिए प्रावधान किया गया है।लेकिन मुख्यमंत्री जी को चाहिए कि एक बार गोपनीय तरीके से गौशालाओं की जांच करवाएं जिससे उनके संज्ञान में यह आये कि गौशालाओं के लिए प्रतिमाह जो वे इतना भारी भरकम बजट जारी कर रहें हैं वह गौमाता तक पहुंच रहा है या फिर नहीं।

जिम्मेदार बोले
मैंने अभी जल्दी तो चार्ज लिया है।गोवंशों को भरपेट चारा न दिये जाने की जानकारी अभी मुझे नहीं है।अगर ऐसा है तो हम स्वयं गौशालाओं का निरीक्षण करेंगे।अगर ऐसा कहीं भी होता पाया जायेगा तो संचालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

   

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