संदना सीतापुर । 84 कोसी परिक्रमा शुरू होने में करीब 26 दिन शेष बचे हैं ,लेकिन पड़ाव स्थल पर अव्यवस्थाओं का बोलबाला है ।प्रथम पड़ाव स्थल कोरोना में परिक्रमार्थियों के रुकने व स्थान पर अतिक्रमण है ,और मार्ग पर गिट्टी उखड़ी हुई है । द्वारकाधीश मंदिर तीर्थ की समस्या अभी तक दुरुस्त नहीं हो सकी, जबकि यहां परिक्रमार्थी स्नान करते हैं, पड़ाव स्थल पर बने शौचालय भी बदहाल स्थिति में हैं।
प्राचीन यज्ञ बारह कूप अहिल्या कूप व अरुंधति रूप के आसपास भी झाड़ियां हैं। बारह कूप तक जाने का मार्ग नहीं है आसपास खेतों में फसले खड़ी है, पड़ाव स्थल पर साफ सफाई समेत पेयजल प्रकाश ठहराव व अतिक्रमण संबंधित समस्याएं हैं ।इनको दूर करने की गति काफी अस्वस्थ है ,अभी केवल सफाई कर्मियों को लगाया गया है।
प्रथम पडाव कोरोना का महत्व
कोरावल क्षेत्र में यज्ञ बारह कूप अरुंधति कूप आदि कई साक्ष्य आज भी मौजूद है। नैमिष क्षेत्र में अश्रमेघ यज्ञ होने के प्रमाण बाल्मीकि रामायण व स्कंद पुराण सहित कई ग्रंथों में उल्लेख मिलता है त्रेता युग में भगवान श्री राम को उनके अनुज लक्ष्मण ने आश्रम में अश्रमेघ यज्ञ करने की सलाह के बाद अश्रमेघ यज्ञ करने की तैयारी की जाने लगी भगवान श्री राम ने अपने कुल पुरोहित गुरु वशिष्ठ से यज्ञ करने का सबसे उपयुक्त स्थान के विषय में पूछा था ।वशिष्ठ जी ने नैमिष क्षेत्र में यज्ञ करने का सबसे उपयुक्त स्थान होना बताया बाद में नैमिष क्षेत्र में ही यज्ञ की गई, जिसका उल्लेख बाल्मीकि रामायण के पृष्ठ संख्या 800 व स्कंद पुराण के प्रथम अध्याय श्लोक संख्या 103 में उल्लेख है, कि नैमिष क्षेत्र में अश्रमेघ यज्ञ संपन्न की गई आदि गंगा गोमती नदी के कुछ दंड उत्तर की ओर वह स्थान त्रेता युग में कारदंड बना था जो आज कोरोना के नाम से जाना जाता है। परिक्रमा पड़ाव पर मूलभूत समस्याओं को लेकर 84 कोसी परिक्रमा अध्यक्ष नन्हकू दास ने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा मिश्रिख तहसील सभागार में बैठक के लिए बुलाया गया है ।जिसमें जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि समय रहते सभी कार्य पूर्ण करा दिये जाएंगे।