अमेठी। भले ही सरकार ने सामाजिक न्याय व्यवस्था को समरूपता देने के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू की हो, लेकिन आधुनिक युग में भी इस व्यवस्था की मंशा साकार होते नहीं दिख रही है। महिलाओं के लिए ग्राम प्रधान की आरक्षित सीटों पर केवल इनका नाम ही चलेगा। प्रधान पद की जिम्मेदारी इनके परिवार के पुरुष ही निभा रहे है ।महिलाएं अब भी घूंघट से बाहर नहीं निकल पाई हैं। इसकी बानगी जनपद अमेठी के सभी ब्लाक मुख्यालय मे देखने को मिल रही है ।महिला प्रधान लंबा घूंघट मारकर अपने घरो मे बैठी रहती हैऔर उनके प्रतिनिधि ब्लाक से लेकर ग्राम पंचायतो मे स्वयं प्रधानी करते है।
जिले की उनमें शायद ही कोई महिला ऐसी हो जो कि सीधे राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त हो। अधिकांश घरेलू महिलाएं ही हैं। कारण महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर केवल इनका नाम ही इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि पूरा का पूरा काम इनके परिवार के पुरुष ही देख रहे है । जिले के विकासखंड भादर, संग्रामपुर, तिलोई, सिंहपुर, मुसाफिर खाना, शुकुल बाजार, बहादुरपुर, शाहगढ, भेटुआ, अमेठी, जगदीशपुर, गौरीगंज, ब्लाक आदि की जिन ग्राम सभाओं मे महिला प्रधान पदासीन है वहं प्रतिनिधि द्वारा कार्य कराया जाता है। और जिसे जनता ने चुना है जो वास्तविक प्रधान है उसे किस कार्य योजना की कितनी लागत है ,कौन सा कार्य कराना है ,इस बात की कोई जानकारी ही नहीं है।
जबकि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा साफ-साफ निर्देशित किया गया है कि किसी भी बैठक में प्रधान प्रतिनिधि नहीं बल्कि जनता द्वारा चुना गया प्रतिनिधि ही शामिल होगा सब तरह की जिम्मेदारी जनता द्वारा चुने गए प्रधान की है। इस तरह की ग्राम सभाओं में प्रधान प्रतिनिधि द्वारा अपने किसी करीबी व्यक्ति को चुनाव लड़ा कर जिताया गया और स्वयं प्रधानी की जा रही ऐसे में अगर प्रतिनिधि भ्रष्टाचार करता है तो उसकी जिम्मेदारी या फिर उसे जेल होगी या उससे जुर्माना वसूला जाएगा यह जिम्मेदारी जनता द्वारा चुने गए प्रधान की होगी।
रबड़ी मलाई काटने की मौज काटने का कार्य प्रतिनिधि द्वारा किया जा रहा है ऐसे में यह गंभीर विषय है उच्च अधिकारियों को ऐसी ग्राम सभाओं को संज्ञान लेना चाहिए एवं प्रधानों को जागरूक करते हुए स्वयं जनता द्वारा चुने गए प्रधान द्वारा ही सभी बैठक व कार्य कराए जाएं जिससे क्षेत्र का विकास हो और भ्रष्टाचार रुक सके। इस सम्बन्ध मे अमेठी जिले की तेज तर्रार डीएम निशा अनंत का कहना है कि महिला प्रधान स्वयं गांव के विकास की जिम्मेदार बने ओर अपने पद की कमान संभाले। दूसरे पर निर्भर न रहकर स्वयं विकास कार्य की बागडोर संभालने का कार्य कुशल पूर्वक करे।