ठंड का सितम शुरू न जले अलाव, न बंटे कंबल और न गौशालाओं में गोवंशों को मिले काऊ कोट!

  • सार्वजनिक चौराहों पर अलाव जलवाने, निराश्रितों को कंबल वितरण और गौशालाओं में गोवंशों को काऊ कोट की व्यवस्था कराने की मांग
  • सरकार के साथ ही समाजिक संस्थाओं को भी है आगे आने की जरूरत, ताकि खुले आसमान में जिंदगी गुजारने वाले निराश्रितों को मिल सके कुछ राहत

निष्पक्ष प्रतिदिन,लखनऊ

ठंड का सितम शुरू हो गया है, मगर शायद जिला प्रशासन को इसका अहसास नहीं हो रहा है। तभी अभी तक न तो निराश्रितों को ठंड से राहत पहुंचाने को सरकारी खजाने में मिलने वाले कंबल ही बंटे , और न ही गौशालाओं में बेजुबान गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए काऊ कोट ही उपलब्ध करवाये गये हैं।आधा दिसंबर बीतने को है, बावजूद इसके प्रशासन के जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठें है। सरकारी महकमें की सुस्त चाल के कारण कहीं कहीं गौशालाओं में ठंड से मौत का सिलसिला भी शुरू हो गया है। ठंड रात में अपने चरम पर पहुंच रही है।इन सबके बीच सरकारी इंतजामों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं रात में शुरु हो चुकी हाड़ कंपाती ठंड में एक तरफ जहां अधिकारी अपने आलीशान बंगलों में बैठे हुए हैं, वहीं बख्शी का तालाब सहित राजधानी की पांचों तहसील क्षेत्रों में झोपड़ी एवं फुटपाट पर रहने वाले गरीब-असहाय अलाव के सहारे जिंदगी काटने को मजबूर हैं।लेकिन अभी तक तहसील एवं नगर पंचायत प्रशासन द्वारा गरीबों को कंबल उपलब्ध करवाए गये हैं और न ही सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलवाए गये हैं।जिससे कस्बों,टेम्पो व बस स्टैंडों,अस्पतालों,मंदिरों, कहचरी,बाजारों इत्यादि जगहों पर जहां अलाव के सहारे हाड़ कंपाती सर्दी को वह लोग दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। बीकेटी के सर्राफा व्यवसायी राजपाल सिंह, व्यवसाई केके सिंह उर्फ़ बेचू, दिवाकर सिंह सहित कई व्यवसाइयों ने कस्बे में अलाव जलाने एवं गौशालाओं में गोवंशों को काऊ कोट तथा निराश्रितों को कंबल वितरण की मांग प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है।


बता दें कि ग्रामीण इलाकों में बदलते मौसम के साथ ही एकाएक सर्दी बढ़ गई। इसके बावजूद भी अभी तक नगर पंचायतों व तहसील प्रशासन की ओर से ठंड से बचाव के कोई इतंजाम नहीं किए गए हैं। न तो सार्वजनिक चौराहों पर अलाव जलवाये गये और न ही कंबल बांटे गये है, और न ही गौशालाओं में गोवंशों को काऊ कोट ही दिये जा सके है।कड़ाके की सर्दी के साथ चलती ठंडी हवाओं ने आमजनमानस व गोवंशो को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है।शाम से ठंडी हवाएं चलने से तापमान में एकाएक गिरावट आ गई। रात को कस्बों एवं बाजारों में जल्दी सन्नााटा पसर जाता है। लेकिन नगर पंचायतों व तहसील प्रशासन ने नगर व ग्रामीण इलाकों के प्रमुख चौराहों पर अभी तक अलाव जलाने की व्यवस्था नहीं कर सका है।कस्बों में जहां-तहां जरूरतमंद के साथ ही मजदूरों को ठिठुरते देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि नगर पंचायतों व तहसील प्रशासन की ओर से ठंड में सर्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की जाती थी। लेकिन इस बार अभी तक अलाव की व्यवस्था न होने पर जरूरतमंद लोगों को ठिठुरने को मजबूर होना पड़ रहा है।

राहगीरों के साथ ही दुकानदार भी ठिठुरने को मजबूर हैं।सोमवार की रात को बीकेटी,भिठौली,आईआईएम तिराहा, इटौंजा,कुम्हरावा,छठामील,जानकीपुरम के प्रमुख चौराहों व गलियों में लोग अपने खर्च से अलाव जलाते देखे गए।निजी विद्यालयों के स्कूल का समय सुबह साढ़े आठ बजे से होने कारण स्कूली बच्चों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।गत वर्ष समूचे लखनऊ में जिला प्रशासन द्वारा चिह्नित 724 जगहों पर अलाव जलाए जा रहे थे, और साथ ही कंबल भी हजारों गरीबों को दिए गए थे।लेकिन इस वर्ष आधा दिसंबर महीना बीतने को है,लेकिन अभी तक न ही सरकारी अलाव जले और न ही निराश्रितों,गरीबों,वृद्धों व असहायों को कंबल वितरण किये गये हैं।ऐसे में जरूरत है,कि सरकार के साथ साथ समाजिक संस्थाए भी को आगे आएं ताकि खुले आसमान में जिंदगी गुजारने वालों तथा निराश्रितों,गरीबों,वृद्धों व असहायों को कुछ राहत मिल सके।

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