नई दिल्ली। कभी-कभी अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए हम पर्सनल लोन का सहारा लेते हैं। मगर अक्सर ऐसा होता है कि हम जल्दीबाजी में इन लोन को पूरी तरह चेक नहीं करते हैं। ऐसे में गलत लोन का चयन आपको लिए आपकी ब्याज दरों, पात्रता आदि को प्रभावित कर सकता है।
अगर आप पर्सनल लोन लेते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि ये दो प्रकार के होते हैं, जिसने सिक्योर्ड और अन सिक्योर्ड लोन शामिल है। यहां हम आपको इन दोनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे अगली बार लोन लेते समय आपको बहुत मदद मिलेगी।
सिक्योर्ड लोन से कैसे अलग है अन सिक्योर्ड लोन
- इन दोनों लोन में सबसे खास अंतर ये है कि सिक्योर्ड लोन के लिए आपको किसी संपति, कार, घर या कोलैटरल की जरूरत होती हैं, जिसको बैंक सिक्योरिटी के तौर पर रखता है। लोन का पूरा भुगतान न करने की स्थिति में ऋणदाता इस संपति को जब्त करने का पूरा हक रखता है।
- भले ही ये लोन किसी कोलैटरल की मांग करता है, लेकिन इससे आपको कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता है और ऐसे में ये लोन अधिक लागत प्रभावी होते हैं।
- सिक्योर्ड लोन पाना आपके लिए थोड़ा आसान होता है, क्योंकि कंपनी इसमे कोलैटरल को सिक्योरिटी के तौर पर रखती है। ऐसी स्थिति में अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम भी हो तो भी आपको लोन मिल सकता है।
- इस तरह के लोन में ऑटो लोन और होन इक्विटी लोन शामिल हैं।
अन सिक्योर्ड लोन
- अगर आप बिना कोई कोलैटरल दिए लोन हासिल करना चाहते हैं तो अन सिक्योर्ड लोन आपके लिए एक विकल्प हो सकता है। सिक्योर्ड लोन की तरह इसमें किसी कोलैटरल की मांग नहीं की जाती हैं।
- इस कारण ये लोन थोड़े कम सुरक्षित होते हैं , हालांकि कोलैटरल न देने की वजह से ये लोन का एक लोकप्रिय विकल्प है।
अन सिक्योर्ड लोन में आपको सिक्योर्ड लोन की तुलना में अधिक ब्याज देना पड़ता है, जिसका मुख्य लोन की सिक्योरिटी ही होती है। - इस लोन को हासिल करना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे में अगर आपका क्रेडिट कम होता है तो इसको पाना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे लोन ऑप्शन में क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन और स्टूडेंट लोन शामिल हैं।