370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का संघवाद पर पड़ा प्रभाव – जस्टिस नरीमन

मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रोहिटन नरीमन ने शुक्रवार को कहा कि अनुच्छेद-370 को हटाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला इस वर्ष देश में होने वाली बहुत परेशान करने वाली घटनाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि इस फैसले का संघवाद पर प्रभाव पड़ा है।

मुंबई में ‘भारत का संविधान नियंत्रण एवं संतुलन’ विषय पर व्याख्यान देते हुए जस्टिस नरीमन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश में इसलिए विभाजित किया गया ताकि अनुच्छेद-356 के प्रविधानों से बचा जा सके।

इस अनुच्छेद में प्रविधान है कि राष्ट्रपति शासन को एक वर्ष से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकते बशर्ते देश में राष्ट्रीय आपातकाल हो या चुनाव आयोग ने कह दिया हो कि चुनाव कराया जाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में पहले से राष्ट्रपति शासन था और केंद्र सरकार इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाए बिना वहां अपना शासन जारी नहीं रख सकती थी। जस्टिस नरीमन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को भी इस मामले में फैसला सुनाने में चार वर्ष लग गए।

जजों की नियुक्ति के लिए दिया सेवानिवृत्त न्यायाधीशों का कलेजियम बनाने का सुझाव
2019 में राज्य को दो भागों में विभाजित कर केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था, फैसला अब आया है और उम्मीद है कि चुनाव अगले वर्ष सितंबर में कराए जाएंगे। लिहाजा पांच वर्षों तक राज्य में कोई लोकतांत्रिक सरकार नहीं रही। सुप्रीम कोर्ट में सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के इस आश्वासन पर कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द बहाल किया जाएगा, जस्टिस नरीमन ने कहा कि सालिसिटर जनरल के पास अगली सरकार या विधायिका को बाध्य करने का अधिकार नहीं है और जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा देने के लिए एक कानून की जरूरत होगी।

जजों की नियुक्ति के लिए जस्टिस नरीमन ने सेवानिवृत्त जजों का कलेजियम बनाने का सुझाव दिया। ये जज सरकारी अधिकारियों के साथ बैठक और प्रधान न्यायाधीश, अन्य वरिष्ठ जजों एवं वकीलों से परामर्श करने के बाद जजों के नामों की सिफारिश करेंगे।

गुजरात दंगों से संबंधित बीबीसी की डाक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसके बाद टैक्स छापों के जरिये बीबीसी को परेशान किया गया। जस्टिस नरीमन ने कहा कि जब भी मीडिया पर कोई हमला हो तो अदालतों को इसकी पहचान के लिए सतर्क रहना चाहिए और यदि ऐसे छापे डाले जाते हैं तो उन्हें गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए। क्योंकि अगर वाचडाग को ही मार दिया जाएगा तो कुछ भी बाकी नहीं बचेगा।

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