हरियाणा। चार दशक पहले पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी धर्मनगरी कुरुक्षेत्र पहुंचे थे। उस समय उन्होंने रेलवे रोड पर श्री कृष्णा धाम धर्मशाला का शिलान्यास किया था। तब उन्होंने कहा था कि राजनीति में आकर मैने सफेद वस्त्र धारण किया है। मेरी परमात्मा से एक ही प्रार्थना है कि मेरे इस सफेदपोश पर कभी कोई दाग न लगे। 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती से पूर्व पिहोवा के तत्कालीन मंडल अध्यक्ष तुलसीदास वर्मा ने याद उनसे जुड़ी यादें साझा की।
उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी का अलग ही अंदाज था। कार्यकर्ताओं से वे बड़े भाई की तरह मिलते थे। विदेश मंत्री रहते हुए वे साल 1978 में कुरुक्षेत्र पहुंचे थे। यहां धर्मशाला का शिलान्यास करने के बाद अटल जी पिहोवा की तत्कालीन अनाज मंडी में जनसभा करने पहुंचे थे। इसके बाद वे कार्यकर्ताओं से ऐसे मिले, जैसे भगवान श्री कृष्ण अपने मित्र सुदामा से मिले हों।
उनके जाने के बाद कार्यकर्ताओं की जुबान पर एक ही बात थी कि दोबारा उनके दर्शन कब होंगे? फिर एक दशक के बाद साल 1988 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर उनका पिहोवा आना हुआ था। उनको कैथल में एक जनसभा में पहुंचना था, मगर कार्यकर्ताओं के आग्रह पर वे ढांड से पिहोवा आए थे। यहां उन्होंने चाय की चुस्की लेते हुए कार्यकर्ताओं से संगठन को मजबूत करने के लिए बातचीत की थी। फिर प्रधानमंत्री बनने के बाद छह मार्च 2001 में उन्होंने ब्रह्मसरोवर के दक्षिणी छोर पर वीआईपी घाट का शिलान्यास किया था। सरस्वती तीर्थ पर बही खाते में भी दर्ज है वंशावली। अटल बिहारी वाजपेयी की वंशावली सरस्वती तीर्थ पुरोहित के पास बही खाते में आज भी दर्ज है। तीर्थ पुरोहित मुन्नु शर्मा ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी बहराइच जिले के गांव रसूलाबाद (यूपी) से संबंध रखते थे। विक्रमी संवत 2014 में अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार के लोग सरस्वती तीर्थ पर स्नान करने आए थे।