ज्योतिष पंचांग के अनुसार, 12 अक्टूबर को मासिक शिवरात्रि है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव संग माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित जातकों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहितों की शीघ्र शादी हो जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो मासिक शिवरात्रि पर एक साथ कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इनमें दुर्लभ ब्रह्म योग और भद्रावास योग प्रमुख हैं। भद्रावास योग के निर्माण के चलते समस्त मानव जगत का कल्याण होगा। आइए, योग, तिथि और पंचांग के बारे में जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 12 अक्टूबर को शाम में 07 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी और o अगले दिन 13 अक्टूबर को रात में 09 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी।
ब्रह्म योग
मासिक शिवरात्रि पर दुर्लभ ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दिन भर है। इस योग में शिव जी की पूजा करने से साधक पर महादेव की कृपा बरसती है।
शुक्ल योग
मासिक शिवरात्रि पर शुक्ल योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 09 बजकर 30 मिनट तक है। इस योग में महादेव की पूजा करने से साधक को कई गुना फल प्राप्त होता है।
करण
चतुर्दशी को सुबह 06 बजकर 47 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 53 मिनट तक वणिज निर्माण हो रहा है। इसके पहले, गर करण का शुभ योग बन रहा है। गर और वणिज करण शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
भद्रावास योग
ज्योतिषियों की मानें तो मासिक शिवरात्रि पर भद्रावास योग बन रहा है। मासिक शिवरात्रि पर संध्याकाल 07 बजकर 50 मिनट से लेकर रात्रि भर भद्रावास योग है। इस समय भद्रा पाताल लोक में रहेगी। शास्त्रों में निहित है कि भद्रा के पाताल लोक में रहने के दौरान पृथ्वी पर उपस्थित समस्त प्राणियों का कल्याण होता है। अतः यह भद्रा योग कल्याणकारी है।