- एटा जिले के नगला कसा गांव की घटना से भी नहीं ले रहे सबक
- सीएम के सख्त निर्देशों के बाद भी ग्रामीण इलाकों में धड़ल्ले से हो रहा ट्रैक्टर ट्रालियों का व्यावसायिक उपयोग
निष्पक्ष प्रतिदिन/लखनऊ
राजधानी के बख़्शी का तालाब, इटौंजा सहित जिले भर में बिना रजिस्ट्रेशन के ही ट्रैक्टर का कमर्शियल उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। खेती के उपयोग के लिए खरीदे गए ट्रैक्टर से बालू और ईंट ढोये जा रहे हैं। इसका परिवहन विभाग को टैक्स भी नहीं दिया जा रहा। अब सवारियों के परिवहन में भी ट्रैक्टर ट्राली का धड़ल्ले से उपयोग होने लगा है। 25 फ़रवरी को एटा जिले के नगला कसा गांव से गंगा स्नान के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली पर सवार होकर कासगंज जिले के पटियाली इलाके में जा रहे 23 श्रद्धालुओं की शनिवार को सड़क हादसे में मौत हो गयी जिनमें से 10 लोग एक ही परिवार के थे । मृतकों का अंतिम संस्कार रविवार को किया गया । नगला कसा के निवासी डेढ़ वर्षीय सिद्धू के मुंडन संस्कार और गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए लोग गंगा नदी के घाट पर जा रहे थे , लेकिन इस दौरान ट्रैक्टर – ट्रॉली पलटकर तालाब में गिर गई । इस हादसे में सिद्धू के परिवार के 10 लोगों समेत 23 लोगों की जान चली गई । शनिवार सुबह इस घटना में जान गंवाने वालों में आठ बच्चे और 14 महिलाएं भी शामिल है।
इसी तरह से वर्ष 2022 में जुलाई माह में बख़्शी का तालाब में 10 और कानपुर में ट्रैक्टर ट्राली पलटने से उसमें बैठे 26 लोगों की दर्दनाक मौत के बाद भी जिले में लापरवाही जारी है।मंगलवार को बख़्शी का तालाब, इटौंजा, मड़ियांव, माल सहित विभिन्न क्षेत्रों मेें ट्रैक्टर ट्राली पर सवार होकर कई लोग आते-जाते दिखे।बख़्शी का तालाब व कानपुर हादसे के बाद सीएम योगी ने ट्राली पर सवारी करने पर दस हजार की जुर्माने की बात की थी। लेकिन सीएम के सख्त निर्देशों के बाद भी जिले में सड़कों पर ऐसे ट्रैक्टर ट्राली पर लोगों को बैठाया जा रहा है, और प्रशासन सब कुछ देखते हुए भी एकदम मौन है।लेकिन जुर्माना तो दूर पुलिस सवारी ढो रहे ट्रैक्टर ट्राली की तरफ ध्यान नहीं दे रही है।जिससे लगातार हादसों में बढ़ोत्तरी हो रही है।गौर हो कि बख्शी का तालाब, इटौंजा, माल, मलिहाबाद, काकोरी,मोहनलालगंज, गोसाईंगंज तथा चिनहट में रोक के बाद भी ईंट भट्ठा मालिकों एवं भवन निर्माण सामग्री विक्रेताओं द्वारा धड़ल्ले से बेरोकटोक ट्रैक्टर ट्रालियों का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है।जिसके कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता ही जा रहा है।
वर्ष 2022 में इटौंजा में घटी घटना के अलावा पूर्व में भी इन वाहनों से कई दुर्घटनाएं भी घटित हो चुकी है।इतना ही नहीं अगर बीते वर्षों में घटी घटनाओं पर गौर किया जाए तो इनसे हुई दुर्घटनाओं में अब तक सैंकड़ों लोगों की जानें भी जा चुकी है। वहीं देखने में आया है कि जिले में कृषि कार्यों में प्रयोग होने वाले ट्राली ट्रैक्टरों का प्रयोग स्वामियों द्वारा कामर्शियल प्रयोग में लाया जा रहा है।जिनसे ज्यादा दुर्घटनाएं होने की संभावनाएं है। क्योंकि अधिकतर चालकों के पास न तो ड्राईविंग लाइसेंस होता है।और न ही इन्हें सड़क पर चलने के नियमों के बाबत जानकारी ही होती है।ऐसे ट्रैक्टर सड़क परिवहन की खूब धज्जियां उड़ा रहे है। हमारे बीकेटी संवाददाता के मुताबिक़ तहसील क्षेत्र में स्थापित लगभग तीन दर्जन ईंट भट्ठों पर सैक़डों ट्राली ट्रैक्टर बिना रजिस्ट्रेशन के ही ईंट ढुलाई का कार्य कर रहे है।वहीं सीतापुर जिले से भी प्रतिदिन सैक़डों ट्रैक्टर ट्राली ईंट लादकर लखनऊ आते है।यह सभी ट्रैक्टर ट्राली लखनऊ में ईंट की बिक्री करते है।वहीं इन ट्रैक्टर ट्रालियों पर नंबर भी नहीं पड़ा होता है। बता दें कि बहुत ट्रैक्टर तो बिना रजिस्ट्रेशन के ही सड़क पर फर्राटा भरते देखे जा सकते है।जबकि विभाग ऐसे वाहनों के कामर्शियल प्रयोग पर प्रतिबंध लगाये है।इसके बावजूद भी संपूर्ण जिले में इन वाहनों का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है।
नहीं होती चेकिंग, पैसा लेकर छोड़ते देते हैं अधिकारी
ट्रैक्टर-ट्राली के चालक की लाइसेंस और कागज चेक न होने का ही कारण है कि शहर व ग्रामीण इलाकों में इससे ढुलाई का चलन बढ़ा है। पुलिसकर्मी भी चेकिंग प्वाइंट पर कुछ पैसा लेकर छोड़ देते हैं। यह वाहन आरटीओ के प्रवर्तन दल के अधिकारियों और पुलिस की मिलीभगत से सड़क पर धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं।अधिकतर ट्रैक्टर चलाने वालों के पास लाइसेंस तो दूर उन्होंने चलाने की ट्रेनिंग भी नहीं ली। चालक के नौसखिया होने से आए दिन इनसे दुर्घटना की खबर मिलती है। पिछले दिनों इटौंजा में घटी ट्रैक्टर-ट्राली पलटने की घटना इसकी बानगी हैं।