धनबाद। अयोध्या में विवादित ढांचा को कार सेवकों ने किस तरह से ध्वस्त किया, इसकी कहानी यहां हम आपको कार सेवक व वरिष्ठ भाजपा नेता सत्येंंद्र कुमार की जुबानी सुना रहे हैं।
तीन हजार कार सेवक ट्रेन से अयोध्या हुए रवाना
बात दो दिसंबर 1992 की है। हीरापुर के अग्रसेन भवन में गुप्त बैठक हुई। अध्यक्षता प्रो. निर्मल कुमार चटर्जी कर रहे थे। तय हुआ कि अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी एवं डा. मुरली मनोहर जोशी के आह्वान पर कार सेवा के लिए अयोध्या जाना है।
पांच दिसंबर की रात करीब साढ़े नौ बजे धनबाद जिला उस समय बोकारो भी धनबाद जिला का हिस्सा था, से करीब तीन हजार कार सेवक लुधियाना एक्सप्रेस से अयोध्या के लिए रवाना हुए।
इस टीम में प्रो. निर्मल चटर्जी के साथ मैं, अरुण कुमार झा, ब्रजराज सिंह, हरीश जोशी, राजकुमार अग्रवाल, अशोक कुमार सिंह, सिंदरी के बीरेंद्र सिंह, बोकारो के राजेंद्र महतो, बाघमारा के अशोक मिश्र समेत धनबाद के कई युवक शामिल थे।
ढांचा ढहते ही मच गई भगदड़
अयोध्या में भाजपा के बड़े नेताओं की सभा चल रही थी। इसी बीच कार सेवक जयश्री राम का नारा लगाते हुए विवादित ढांचे की ओर बढ़ गए।
अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी एवं डा. मुरली मनोहर जोशी लगातार मंच से कार सेवकों को विवादित ढांचा की ओर बढ़ने से रोकते रहे, लेकिन कार सेवक कहां मानने वाले थे। चंद घंटों में ही विवादित ढांचा का अस्तित्व मिट गया।
इसके बाद वहां भगदड़ मच गई। सभी को परिसर खाली करने का आदेश माइक से अधिकारी देते रहे। ढांचा ढहते ही वहां से निकलने के लिए भगदड़ मच गई। सभी रेलवे स्टेशनों की ओर भागने लगे। जिसको जो ट्रेन मिल रहा था, वह उसी पर सवार होकर निकल जा रहा था।
एक-एक कर सभी कर लिए गए गिरफ्तार
संयोग से हमलोगों को सीधे धनबाद के लिए ट्रेन मिल गई। रास्ते में जगह-जगह लोग ट्रेनों पर हमला होने का खतरा था। ट्रेन का शीशा बंद कर हमलोग किसी तरह आगे बढ़ते रहे।
धनबाद से पहले वासेपुर के पास हमारी ट्रेन पर पथराव हुआ। किसी तरह हमलोग सुरक्षित धनबाद पहुंच गए। इधर विधि व्यवस्था को देखते हुए तत्कालीन बिहार सरकार के आदेश पर प्रशिक्षु आएएस आशीष झा ने राम मंदिर के आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी शुरू कर दी।
सबसे पहले हमारे नेता प्रो. निर्मल कुमार चटर्जी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इसके कुछ दिन बाद मिश्रित भवन के समक्ष राम मंदिर के लिए सभा को संबोधित करने के दौरान मुझे गिरफ्तार कर लिया गया।
दूसरे दिन अरुण कुमार झा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। फिर कुमार अर्जुन सिंह भी पकड़े गए। ब्रजराज सिंह ने बाद में उपायुक्त कार्यालय पर नारेबाजी कर अपनी गिरफ्तारी दी।