कानपुर। साल 1999 में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने जगतीवीर सिंह द्रोण को पराजित कर भाजपा के तिलिस्म को तोड़ने को काम किया था। तो उनका बदला 2014 में संगठन के मजबूत नेताओं में रहे डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने बड़े अंतर से पराजित कर कांग्रेस के तिलिस्म को तोड़कर पूरा कर दिया था। इसके बाद अगले चुनाव में भाजपा के सत्यदेव पचौरी ने जीत दर्ज की। इस बार भाजपा ने कानपुर सीट पर नया चेहरा रमेश अवस्थी पर दांव लगाया है। पत्रकार रमेश अवस्थी पर जीत बरकरार रखने की चुनौती है।
कानपुर नगर सीट पर अब तक कांग्रेस ने छह बार जीत दर्ज की है। भाजपा पांच बार जीत दर्ज कर चुकी है। अबकी बार अगर भाजपा जीतती है तो जहां दूसरी बार हैट्रिक होगी तो वहीं कांग्रेस की बराबरी भी कर लेगी। अबकी बार कांग्रेस और भाजपा ने नये चेहरों पर दांव लगाया है। दोनों कभी चुनाव नहीं जीते। हालांकि भाजपा का संगठन बहुत मजबूत है। यही जीत की उनकी सबसे बड़ी ताकत है। कांग्रेस के पास चिरपरिचित चेहरा आलोक मिश्र हैं, पर संगठन कमजोर है। आलोक मिश्र एक बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। एक बार उनकी पत्नी वंदना मिश्रा महापौर का चुनाव लड़ चुकी है। इसके साथ ही कानपुर में उनके कई शैक्षणिक संस्थान होने से उनकी पहचान बनी हुई है। इसके अलावा सपा, आप और वामपंथ सहित कई पार्टियों का समर्थन है। भाजपा प्रत्याशी रमेश अवस्थी पेशे से पत्रकार रहे और संघ परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी जीत के लिए संगठन की मजबूती के साथ सबसे बड़ी ताकत मोदी की गारंटी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके पक्ष में रोड शो भी कर चुके हैं। मोदी लहर कानपुर में अभी 2014 की तरह बरकरार है। राजनीतिक लोगों का कहना है कि प्रत्याशी के चेहरे के मामले में कांग्रेस मजबूत है। चुनाव संगठन और पार्टी की लहर पर जीता जा सकता है। रमेश अवस्थी के पास यह दोनों है।