उत्तम भक्त सर्वत्र भगवान का दर्शन करता है…

टिकैतनगर (बाराबंकी): क्षेत्र के सरायनेता मऊ में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहुति रविवार को हुई। अंतिम दिन सैकड़ों श्रद्धालु कथा सुनने पहुंचे। कथा व्यास सुरेश चंद्र मिश्रा जी महराज ने भागवत महापुराण के समापन दिवस पर कहा कि भक्त तीन प्रकार के होते है। उत्तम भक्त सर्वत्र भगवान का दर्शन करता है। मध्यम भक्त भगवान के साथ साथ बड़ों में भी भगवान के दर्शन करता है। ज्ञान कही से भी मिलता हो ले लेना चाहिए। ज्ञान सबसे कीमती वस्तु है, शरीर नश्वर है। आत्मा अजर अमर है, मैं शरीर हूं, ऐसा मानना अज्ञान है।  उन्होंने कहा भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि मैं भगवान का अंश आत्मा हूं, पहले भी बहुत शरीर धारण किए, अब इस शरीर में बचपन, युवा वृद्धावस्था देख चुका, जब तक मोक्ष प्राप्त नहीं होगा, फिर से मनुष्य शरीर धारण करुंगा। यह ज्ञान ही वास्तविक ज्ञान है। सामान्य भक्त केवल मंदिर में ही भगवान के दर्शन करता है।

कलयुग में भगवान के नाम की विशेष महिमा है। भागवत के समापन पर भगवान व्यास कहते हे कि भगवान के नाम का संकीर्तन सभी पापों को नष्ट करने वाला है। भगवान को किया गया प्रणाम समस्त दुखों को दूर करता है। भगवान के सुमिरन और स्मरण की बहुत महिमा है। नाम जप को ही भक्ति कहते है। अगर आप भगवान के नाम का जाप कर रहे है, तो आप भक्ति कर रहे है। इसलिए भगवान नाम का जप अवश्य करना चाहिए। उन्होंने बताया कि ऋषियों का यदुवंशी बालकों को श्राप नवयोगेश्वर का संवाद दत्तात्रेय के चौबीस गुरुओं का संवाद सुखदेवजी का अंतिम उपदेश भगवान कृष्ण यदुवंशियों को साथ में लेकर दुष्टों का संघार किया व धर्म की स्थापना की, इसलिए भगवान ने अवतार लिया। समापन के समय पांडाल में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। खाद्य एंव रसद राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा, हनुमानगढी महंत बाबा बलराम दास,मनोज शर्मा,राजकुमार पाण्डेय,सुदामा पाण्डेय, हरीश बिहारी द्विवेदी, लीलाधर मिश्रा, युगल किशोर शुक्ला, लालजी पांडे विनोद जायसवाल पुरुषोत्तम तिवारी, विनोद शर्मा आदि लोग मौजूद रहे।

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