गोण्डा (हरि सिंह बादल)। गोण्डा में जनपद के विकास के नाम पर आम जनता के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं में आने वाले करोड़ों रुपयों के बंदरबांट का यह आलम है कि भ्रष्टाचार और लूट के होड़ में अधिकारी सड़क पर नंगे हो रहे हैं। मैदान में उतरकर आपस में जूतमपैजार तक करने पर उतारू हो गए हैं। यहां विकास भवन में दिनदहाड़े बीडीओ को डीडीओ ने बाताकहानी के बाद खदेड़ा और बंधक बना लिया। हाई वोल्टेज ये ड्रामा लगभग डेढ़ घंटे चला। अधिकारी के आदेश पर कर्मचारियों ने विकास भवन का मुख्य गेट बंद कर दिया और विकास भवन परिसर के अंदर भ्रष्टाचारी डीडीओ और विकास विभाग के कर्मचारियों से बचकर भाग रहा बीडीओ लगभग डेढ़ घंटे बंधक बना रहा।
नगर पुलिस भी पहुंची किंतु वह मजबूर हो केवल मूकदर्शक बनी रही। और तो और सीडीओ भी विकास भवन में अपने चेंबर में बैठी रहीं और यह सबकुछ इस तरह चलता रहा था जैसे नंगा नाचे तो फ़ाटे क्या।। जी हां चौंकाने वाली ये खबर गोंडा के विकास भवन से है। यहां उस समय एक हाई वोल्टेज ड्रामा आरंभ हो गया जब वजीरगंज विकासखंड के बीडीओ शिवमणि अपने स्थानांतरण का स्थगनादेश माननीय उच्च न्यायालय से प्राप्त कर अपने तैनाती स्थल पर पुनर्स्थापित होने हेतु डीडीओ सुशील कुमार श्रीवास्तव से मिलने पहुंचे। चार्ज लेने के विषय पर बीडीओ शिवमणि से डीडीओ सुशील कुमार की बाताकहानी आरंभ हो गई। इसी बीच डीडीओ श्री श्रीवास्तव अपने कर्मचारियों के साथ बीडीओ शिवमणि पर हमलावर हो गए। जान बचाने की उद्देश्य से शिवमणि निकलकर भागे। वह अपनी कार में बैठकर विकास भवन परिसर से निकाल पाते कि उससे पूर्व ही डीडीओ के आदेश पर कर्मचारियों ने विकास भवन परिसर का मुख्य गेट बंद कर दिया। लगभग डेढ़ घंटे बीडीओ शिवमणि भयभीत बंधक बने रहे। इसबीच सूचना पर नगर कोतवाल राजेश सिंह भारी दलबल के साथ विकास भवन के बंद मुख्य गेट पर पहुंच गए किंतु ड्रामा हाई वोल्टेज था तो वह अपनी हंटर नहीं चला सके और मजबूर हो मूकदर्शक बने देखते रहे। बात यहीं तक होती तो शायद सामान्य होती लेकिन विशेष तो यह है कि जिले की मुख्य विकास अधिकारी विकास भवन में ही स्थित अपने विशाल चेंबर में मौजूद रहीं और यह सब कुछ नंगा नाच विकास भवन परिसर में घंटों चलता रहा। बंधक बने बीडीओ शिवमणि गुहार लगाते रहे किन्तु इनकी कोई सुनने वाला नहीं था। वास्तव में इनको सजा इनकी ईमानदारी की मिली है। बंधक बने बीडीओ शिवमणि साफ-साफ बयान कर रहे हैं कि वजीरगंज में रहते हुए वहां के दबंग और महाभ्रष्टाचारी पूर्व ब्लॉक प्रमुख सपानेता राम बहादुर सिंह के लूट व भ्रष्टाचार पर प्रतिबंध लगा दिया था। शिवमणि स्वयं को बेहद ईमानदार बताते हुए बोले कि मैं अपने कलम की ताकत का प्रयोग जनता की भलाई के लिए करना चाहता हूं किंतु यहां के सारे अधिकारी डीएम, कमिश्नर, एसपी, डीआईजी सभी मेरे विरुद्ध हैं। वह नहीं चाहते कि मैं ईमानदारी से कार्य कर सकूं। ये सारे लोग मिलकर गोंडा को लूट रहे हैं और मेरे द्वारा भी लूटने का कार्य कराना चाहते हैं। किंतु मैं ऐसा कर नहीं सकता, मैं कतई लूटने को तैयार नहीं हूं और मैं सत्य के साथ हूं, जो भी नियम कानून है मैं उसका पालन करते हुए विभाग का कार्य कर रहा हूं। ऐसा न होने पाए इसलिए यह हमें गोंडा से भगाना चाहते हैं। मैं यहां वापस माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर आया हूं। वीडियो शिवमणि ने अपने बयान में आगे कहा कि विकासखंड वजीरगंज में पूर्व ब्लाक प्रमुख राम बहादुर सिंह अनीता यादव की जगह बैठते थे। हड़काते थे, सभी से मनमानी अवैध कार्य कराते थे, पैसे वसूलते थे। लेकिन मैंने उन्हें 11 जुलाई को ताला बंद करवाके भगा दिया था। इसीके बदले 16 जुलाई को डीएम ने मेरे विरुद्ध एकतरफा कार्यवाही करते हुए ग्राम विकास आयुक्त लखनऊ को लिखकर भेज दिया था। किंतु शासन ने 13 अक्टूबर को डीएम के उस आदेश को निरस्त कर दिया। जिसके आधार पर मैं वजीरगंज का ही वीडियो था। अगले दिन 17 तारीख को आकर मैं वजीरगंज में ज्वाइन किया और इसकी सूचना मैंने डीएम, सीडीओ और डीडीओ को दिया। किंतु 18 तारीख को मेरा स्थानांतरण कर हालधरमऊ भेज दिया गया। जिसके विरुद्ध मैं उच्च न्यायालय के शरण में गया वहां से मुझे पूर्व तैनाती स्थल पर अगली सुनवाई और आदेश तक बने रहने का आदेश मिला। जिसके परिपेक्ष में मैं यहां आया था किंतु मुझे वजीरगंज भेजा नहीं जा रहा है। यही मैं पूछने आया था कि मैं क्या करूं ऐसे ही हवा में लटका रहूं। इसी बात पर डीडीओ के नाराज होने और बंधक बना लेने की बात बताते हुए शिवमणि ने कहा कि उन्होंने सभी कर्मचारियों से कहा कि इसे पकड़ो और ले जाकर बंद कर दो कमरे में। किंतु मैं अपनी जान बचाकर जब भागा तो मुख्य गेट बंद करके मुझे बंधक बना लिया गया। शिवमणि ने अपनी जान का खतरा भी बताया।। वास्तव में जनपद गोंडा भ्रष्ट और लुटेरे नेताओं के एक सिंडिकेट के सत्ता की राजनीतिक और उसकी पॉलिटिकल माफियागिरी का कई दशकों से शिकार है। ये जनपद सरकारी लूट, भ्रष्टाचार, घोटालों, अवैध कब्जा, भू माफियागिरी, खाद्यान्न माफियागिरी, तेल माफियागिरी एवं अन्य विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक भ्रष्टाचारों में अनेकों बार नाम कमा चुका है। यहां भ्रष्टाचार, घोटालों, लूट और उसकी जांच की लंबी कतार है। बड़ी-बड़ी एजेंसियां यहां विभिन्न घोटाले लूट और भ्रष्टाचार की जांच वर्षों से करती चली आ रही है। किंतु जांच के कोई परिणाम केवल इसलिए नहीं आते कि यहां के जितने माफिया और बाहुबली किस्म के नेता हैं वह सारे के सारे सत्ता में ही रहते हैं। अब सत्ता चाहे जिस पार्टी की ही क्यों न हो। यही कारण है कि आज एक ईमानदार बीडीओ शिवमणि जब एक नेता के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए कमर कस रहा था तो उसका स्थानांतरण कर दिया गया और उसके साथ जिस तरह की गुंडागर्दी विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा हो रही है वह यह साबित करती है कि स्थानीय सत्तासीन बाहुबली व माफिया किस्म के नेताओं का वरदहस्त इन सभी भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को प्राप्त है। आज यह बीडीओ शिवमणि केवल भयभीत हो बंधक बना है ये सब इसी का परिणाम है। अब इस प्रकरण में जिले की जिला अधिकारी नेहा शर्मा की भी भूमिका साफ सुथरी नहीं दिख रही है जब बीडीओ शिवमणि वजीरगंज में तैनात रहते स्थानांतरित किया गया तो माननीय उच्च न्यायालय द्वारा स्थानांतरण आदेश के स्थगनादेश के पश्चात शिवमणि की पुनर तैनाती वजीरगंज में ही होनी चाहिए। किंतु डीएम नेहा शर्मा ने हलधरमऊ तैनात कर दिया। इससे यह सिद्ध होता है कि कहीं ना कहीं जनपद के भ्रष्ट नेताओं का जो सिंडिकेट है उसके दबाव में जनपद का पूरा प्रशासन और विभागों के लगभग समस्त अधिकारी नियम कानून व उच्च न्यायालय के आदेशों को भी ताख पर रखकर कार्य कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि जीरो टॉलरेंस की नीति का दम्भ भरने वाली प्रदेश व केंद्र सरकार के सर्वोच्च नेता और एजेंसियां इस प्रकरण में कितनी खरी उतरती हैं और उसके एक बेहद ईमानदार छोटा अधिकारी को उसकी ईमानदारी का इनाम मिलता है अथवा तिरस्कार मिलता है।।