बरेली। एक तरफ पेड़ पौधों का तेजी से कटान और दूसरी ओर बढ़ता एसी का उपयोग। जनमानस को भयानक गर्मी झेलने को मजबूर कर रहा हैं। घर के अंदर का तापमान कम करने से राहत तो मिलती है, लेकिन इसका प्रभाव वातावरण पर कितना पड़ता है। शायद अभी लोग पूरी तरह से इसे नहीं समझ पाए हैं? जागरण ने पड़ताल कर इसी अंतर को समझने का प्रयास किया।
तापमान में आठ डिग्री सेल्सियस का अंतर
पता चला कि, जिस छत पर एसी का कंप्रेशर रखा है उस छत के तापमान और सामान्य तापमान में आठ डिग्री सेल्सियस का अंतर है। जो लोगों को झुलसाने के लिए काफी है। शहर के एक मकान में चल रहे एसी का कंप्रेशर रखी छत पर पहुंचे। अल्कोहल थर्मामीटर की मदद से उस छत पर खड़े होकर तापमान नापा तो आंकड़ा चौकाने वाला आया।
एसी चलने के दौरान छत का तापमान 49 डिग्री सेल्सियस आया। जबकि उसी वक्त गली में आकार तापमान को नापा तो वहां का तापमान 41 डिग्री सेल्सियस था। दोनों तापमान में आठ डिग्री सेल्सियस का अंतर लोगों को झुलसाने के लिए काफी था। ऐसा कोई एक घर में नहीं हो रहा है। बल्कि उन सभी घरों की कहानी हैं जहां एसी का इस्तेमाल हो रहा है।
एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डा. अतुल कटियार बताते हैं कि, एसी का कंप्रेशर कमरे की गर्म हवा को खींचकर बाहर वातावरण में फेंकता है। जिससे कमरा ठंडा होता है।
यही गर्म हवा वातावरण में शामिल होकर तापमान बढ़ाती हैं। जिससे आमजन प्रभावित होते हैं। दूसरी ओर पेड़ों के लगातार हो रहे कटान की वजह से भी तापमान तेजी से बढ़ रहा है। यदि इस बढ़ते तापमान से निजात चाहिए तो पेड़ पौधे लगाने होंगे।