शिक्षा की अलख जग रहे 32 वर्षीय संत बोधायनदास

  • जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिया ध्यान तो संत ने की पहल

बाराबंकी। शिक्षा की दृष्टिकोण से तहसील रामनगर के अति पिछड़े इलाके महादेवा में एक डॉक्टरेट डिग्री धारक 32 वर्षीय संत शिक्षा की अलख जगा रहे है। जानकारी के मुताबिक तहसील रामनगर अंतर्गत आजादी के बाद बने पीजी कॉलेज के बाद अब तक कोई नया शिक्षण संस्थान स्थापित नही हुआ है। जिससे यहां के छात्र-छात्राओं को मजबूरन 50 किलोमीटर दूर चलकर अन्य जनपदों के शिक्षण संस्थानों को जाना पड़ता है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस ओर अब तक किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान गया, और ना ही किसी क्षेत्रीय जिम्मेदार का ध्यान गया है। लेकिन यहां की इस दयनीय स्थिति को दूर करने का प्रयास संत महंत बोधायन दास कर रहे है। जिसके लिए उन्होंने यहां सर्वप्रथम एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की है। जिसमें स्नातक की पूरी पढ़ाई शिक्षित व संस्कारवान शिक्षकों द्वारा दी जा रही है।

गणित विषय में डॉक्टरेट डिग्री धारक डा. मंनजीत उपाध्याय उर्फ बाबा बोधायन दास ने पूछने पर बताया कि बचपन से उनमें शिक्षा को लेकर कुछ करने की मन था। जिसे उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने व संत की उपाधि मिलने बाद पूरा करने का मन बनाया है। अभी यहां ग्रेजुएशन तक की एकेडमी की शुरुआत हुई है। लेकिन हमारा लक्ष्य इसे विश्वविद्यालय बनाना है। वर्ष 2026 से यहां 250 बच्चे वेद अध्ययन करेंगे। जिसके लिए हम लगातार प्रयासरत है। इस क्षेत्र में काम करने के लिए उन्होंने सर्वप्रथम अयोध्या में जमीन खरीदी थी। लेकिन तहसील रामनगर के रहने वाले कृष्ण मोहन तिवारी की प्रेरणा से उन्होंने यहां शिक्षण संस्थान बनाने का फैसला किया है। बतौर 32 वर्षीय युवा उन्होंने नवयुवकों को संदेश देते हुए कहा कि युवाओं में जज्बे की कमी है। वह लगातार अपनी उर्जा सोशल मीडिया पर बर्बाद कर रहे है। बड़े से बड़े लक्ष्य की प्राप्ति धीरे-धीरे किए गए प्रयासों से की जा सकती है। लेकिन इसके लिए हमें धन संकल्पित होना होगा।

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