तपती दोपहर सिर पर धूप, भक्तों पर पड़ रही भारी

वृंदावन। ठाकुर बांकेबिहारी की नगरी में हर दिन हजारों भक्त दर्शन के लिए आ रहे हैं। सुबह और शाम जब मंदिरों के पट खुले रहते हैं, तो श्रद्धालु एक मंदिर से दूसरे मंदिर तक दर्शन पहुंचकर अपना समय गुजार लेते हैं। लेकिन, दोपहर को जब मंदिर के पट बंद होते हैं, तो श्रद्धालुओं के कुछ देर विश्राम को शहर में कोई इंतजाम नजर नहीं आते।

श्रद्धालुओं को दोपहर के समय कुछ देर विश्राम और छांव की व्यवस्था करना न तो प्रशासन ने ही अब तक उचित समझा और न ही मंदिर प्रबंधन का इस ओर कोई ध्यान है।

ठाकुर बांकेबिहारी की नगरी में हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। वीकेंड और पर्व के दिनों में श्रद्धालुओं का ये आंकड़ा लाखों में पहुंच जाता है। शहर में आने वाले श्रद्धालुओं में हर श्रद्धालु गेस्टहाउस में ठहर नहीं सकता। अधिकतर श्रद्धालु सुबह आकर शाम को दर्शन कर गंतव्य को लौट जाते हैं।

तीन से चार घंटे का समय बिताते हैं श्रद्धालु
मंदिरों के आसपास हजारों श्रद्धालु जहां भी छांव मिलती है, बैठकर ही तीन से चार घंटे का समय गुजारते हैं। गुरुवार को जब हमने बांकेबिहारी मंदिर से लेकर प्रेममंदिर तक दोपहर में श्रद्धालुओं की स्थिति देखी तो कहीं बंद दुकानों के नीचे तो कई जगहों पर मंदिर के आसपास जहां भी छांव मिली श्रद्धालु दोपहर का समय मुश्किल से बिता रहे थे।

इनकी बनती है जिम्मेदारी
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर प्रबंधन पर हर दिन लाखों रुपए का चढ़ावा भी यही भक्त अर्पित करते हैं। लेकिन, मंदिर प्रबंधन ने ऐसे श्रद्धालुओं को सहूलियत देने के लिए कोई इंतजाम तक नहीं किए हैं। दोपहर के समय मंदिर के आसपास दुकानें बंद रहती हैं, तो श्रद्धालु तेज धूप में इन दुकानों के फड़ पर बैठकर समय गुजार लेते हैं। श्रद्धालुओं को सहूलियत देने की जिम्मेदारी प्रशासन ने भी नहीं उठाई है।

कहते हैं श्रद्धालु…
दोपहर को मंदिर बंद होने से करीब 15 मिनट पहले हम पहुंचे थे। लेकिन, मंदिर के अंदर पहुंचे तो पट बंद हो गए। पूरा परिवार साथ था। दर्शन करने हैं, तो शाम तक इंतजार करना है। धूप से बचने के लिए छांव में जमीन पर बैठकर समय गुजार रहे हैं। -शैलेंद्र, निवासी: लखनऊ।

दोपहर में पहले वृक्षों के नीचे बड़े आराम से समय गुजर जाता था। कई साल बाद आए हैं। तो अब वृक्ष तो दूर तक नजर नहीं आते। प्रशासन को मंदिरों के आसपास श्रद्धालुओं को दोपहर गुजारने की व्यवस्था करनी चाहिए। चार घंटे तक दोपहर काटना मुश्किल हो जाता है। -राजकुमार, निवासी: दिल्ली।

देश के दूसरे बड़े मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए हर तरह की सुविधा सहूलियत दी गई है। लेकिन, वृंदावन में न तो किसी मंदिर द्वारा और न ही प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं को दोपहर के समय विश्राम की कोई व्यवस्था की गई। -देवेश वर्मा, निवासी: मुरैना, मप्र।

तीर्थनगरी होने के बावजूद श्रद्धालुओं की सहूलियत पर शासन-प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। दोपहर के समय गर्मी में समय बिताना मुश्किल हो जाता है। प्रशासन या फिर मंदिर प्रबंधन श्रद्धालुओं की सुविधा का कुछ तो ख्याल करे। -कुसुम गुप्ता, निवासी: जयपुर।

जिस समय मंदिर के पट बंद हों, उस वक्त श्रद्धालुओं के लिए बैठने और आराम के लिए स्थान बनाने पर गहनता से मंथन हो रहा है। जल्द ही इस योजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा। अनुज कौशिक, सहायक नगर आयुक्त।

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