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गन्ने मे ट्रेश मल्चिंग से ज़मीन होंगी उपजाऊ और देगी अधिक पैदावार
पीलीभीत। पौधा गन्ना की कटाई के बाद किसान अक्सर गन्ने की पत्तियों को खेत से बाहर कर देते है, कुछ किसान तो गन्ने की पत्तियों को खेत मे ही जला देते है।किसान भाई गन्ने की पत्तियों को खेत मे जलाने की भूल कदापि न करे। ऐसा करने से ज़मीन मे मौजूद लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते है।ज़मीन की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है l ज़मीन के फ्लोरा एवं फौना नष्ट होने से ज़मीन धीरे धीरे बंजर होने लगती है l इसके साथ ही पर्यावरण भी प्रदूषित होता है l किसान भाई अपने खेत मे गन्ने की पत्तियों की मल्चिंग करके अधिक पैदावर प्राप्त कर सकते है l इससे गन्ना किसानो की पैदावार बढ़ने के साथ साथ पर्यावरण प्रदूषण पर भी रोक लगेगी l गन्ने के खेत मे ट्रेश मल्चिंग करने से होने वाले लाभ को बताने के लिए विभागीय एवं चीनी मिल कर्मचारियों की ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षकों की अध्यक्षता मे गन्ना विकास परिषदवार टीमों का गठन किया गया है l यह टीमें पैदावार बढ़ाने के लिए जनपद के गन्ना किसानो को ट्रेश मल्चिंग की जानकारी देगी। इसी क्रम मे खुशी राम भार्गव जिला गन्ना अधिकारी पीलीभीत द्वारा राम भद्र द्विवेदी ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक पीलीभीत, के. बी. शर्मा,गन्ना प्रमुख एल. एच. चीनी मिल पीलीभीत के साथ गन्ना विकास परिषद पीलीभीत के ग्राम सरौरा का भ्रमण किया गया l भ्रमण के दौरान गन्ना किसान श्री भगवान दास / हरी प्रसाद के खेत पर जाकर मल्चिंग के बारे मे किसानो को जानकारी दी l जिला गन्ना अधिकारी द्वारा बताया गया कि मल्चिंग की प्रक्रिया मे गन्ने की सूखी पत्तियों को दो लाइनो के बीच मे आठ से दस सेंटीमीटर की मोटाई मे बिछा देते है l ऐसा करने से खेत की नमी अधिक समय तक सुरक्षित रहती है और बार बार सिचाई करने की जरूरत नहीं पडती l मल्चिंग से खरपतवार भी कम निकलते है l मल्चिंग के रूप मे प्रयुक्त सूखी पत्तियाँ कुछ समय बाद सड़कर खाद मे बदल जाती है l इन पत्तियों मे नाइट्रोजन, फोस्फोरस, पोटाश एवं कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा मे पाये जाते है जो कि खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते है। खेत की जैविक एवं भौतिक दशा मे सुधार होता है तथा जलधारण क्षमता बढ़ती है l परिणामस्वरुप खेत का उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों मे वृद्धि होती है।मल्चिंग के लिए मार्च -अप्रैल का महीना सबसे अधिक उपयुक्त रहता है।पौधा गन्ना कटाई के बाद पत्तियों को खेत मे ही बिछा देते है।जनपद मे पचास हजार हेक्टर से अधिक क्षेत्रफल पर पेड़ी गन्ना की फसल है l लेकिन मल्चिंग की प्रक्रिया ट्रेंच विधि से लाइन से लाइन 3 से 4 फीट की दूरी पर बोये गये गन्ने के खेत मे सही तरीके से हो पाती है।इससे खरपतवार नियंत्रण के साथ पानी की भी बचत होती है।इस अवसर पर किसान अजीज अहमद, गंगा राम, महेंद्र पाल, भोला नाथ, पीलीभीत चीनी मिल के सहायक प्रबंधक प्रदीप चौधरी, क्षेत्र सहायक अरविन्द व अन्य लोग उपस्थित रहे।