रांची । झारखंड हाई कोर्ट में विधानसभा में नियुक्ति गड़बड़ी मामले में शिव शंकर शर्मा जनहित याचिका की सुनवाई बुधवार को हुई। सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट अब तक कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किए जाने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई।
चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट के तीन बार आदेश के बाद भी विधानसभा सचिव की ओर से अब तक जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट नहीं आई है। यह कानूनी प्रक्रिया में व्यवधान का मामला बनता है। कोर्ट ने विधानसभा सचिव को सात दिनों के भीतर जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए मामले के अगली सुनवाई गुरुवार को निर्धारित की।
नाराज कोर्ट ने कहा कि यदि विधानसभा सचिव द्वारा जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत नहीं की जाती है तो उन पर आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी। सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता जयप्रकाश और अधिवक्ता अनिल कुमार ने कोर्ट को बताया कि कैबिनेट सेक्रेटेरिएट ने जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट को जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली कमीशन के पास भेजा है। इसलिए कैबिनेट सेक्रेटेरिएट से जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट मांगी गई है। यह रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मामले की जांच को लेकर पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमिशन बनी थी, जिसने मामले की जांच कर राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को एक्शन लेने का निर्देश दिया था लेकिन वर्ष 2021 के बाद से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। राज्यपाल के दिशा निर्देश के बावजूद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मामले को लंबा खींचा जा रहा है।
मामले में देरी होने से गलत तरीके से चयनित होने वाले अधिकारी सेवानिवृत हो जाएंगे। पूर्व की सुनवाई विधानसभा की ओर से बताया गया था कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की कमीशन की रिपोर्ट पूरी तरीके से स्पेसिफिक नहीं थी।