-दूसरे चरण के अंतर्गत 1 से 31 जुलाई तक संचारी रोग नियंत्रण अभियान और 11 से 31 जुलाई तक दस्तक अभियान का आयोजन
लखनऊ। योगी सरकार प्रदेश भर में एक जुलाई से 31 जुलाई तक संचारी रोग नियंत्रण अभियान और 11 जुलाई से 31 जुलाई तक दस्तक अभियान चलाने जा रही है। इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है, जिस पर अमल के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। नगर विकास विभाग ने भी जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए कमर कस ली है और नगरीय निकायों को कार्ययोजना को लागू करने के लिए दिशा निर्देश प्रदान किए हैं।
संपन्न गतिविधियों की उपलब्ध करानी होगी रिपोर्ट
नगर विकास द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुपालन में नगरीय निकाय निदेशालय ने समस्त नगर आयुक्तों, जल संस्थान के महाप्रबंधकों एवं नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारियों को इन निर्देशों के अनुरूप कार्ययोजना को अमल में लाने के लिए कहा है। साथ ही नगर निगमों, नगर पालिकाओं और समस्त नगर पंचायतों के लिए संवेदीकरण बैठक निर्धारित की गई है। समस्त नगर निकायों द्वारा विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के लिए निकाय वार व वार्ड वार संपन्न की जाने वाली गतिविधियों की माइक्रोप्लान जनपद स्तर पर मुख्य चिकित्साधिकारी को 28 जून तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। नगरीय निकायों को इस माइक्रोप्लान के अनुसार अभियान के दौरान किए गए कार्यों व संपन्न गतिविधियों के संबंध में संकलित रिपोर्ट भी शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
निरंतर जागरूकता अभियान जारी रहे
नगरीय निकायों को दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार, नगरीय निकायों के अधिकारियों एवं कर्मियों का दिमागी बुखार एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों, जलजनित रोगों की रोकथाम तथा साफ-सफाई के संबंध में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से संवेदीकरण कराया जाए। नगरीय क्षेत्र में मोहल्ला निगरानी समितियों के माध्यम से दिमागी बुखार एवं अन्य वेक्टर जनित रोगों, जलजनित रोगों के विषय में निरंतर जागरूकता स्थापित की जाए। साथ ही, शहरी क्षेत्रों में फॉगिंग करवाना, स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई हाई रिस्क क्षेत्रों की सूची में उल्लेखित स्थानों पर सघन वेक्टर नियंत्रण एवं संवेदीकरण गतिविधियां संपादित कराना शामिल है। इसके अतिरिक्त ये भी दिशा निर्देश दिए गए हैं कि नगरीय क्षेत्रों में वातावरणीय तथा व्यक्तिगत स्वच्छता के उपायों, खुले में शौच न करने, शुद्ध पेयजल के प्रयोग तथा मच्छरों की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान संचालित किया जाए। साथ ही खुली नालियों को ढकने की व्यवस्था, नालियों, कचरों की सफाई करवाना, उथले हैंडपंपों का प्रयोग रोकने के लिए उन्हें लाल रंग से चिन्हित किया जाना और हैंडपंपों के पाइप को चारों ओर से कंकरीट से बंद करने के कार्य को तवज्जो दी जाए। हैंडपंपों के पास अपशिष्ट जल के निकलने हेतु सोक पिट का निर्माण, शुद्ध पेयजल की गुणवत्ता की निगरानी के लिए बैक्टीरियोलॉजिकल/वायरोलॉजिकल जांच अवश्य कराई जाए।
संवेदनशील क्षेत्रों पर रहे खास फोकस
जल भराव और वाटर सप्लाई को लेकर भी दिशा निर्देश प्रदान किए गए हैं। इसके अनुसार, आबादी में मिनी पब्लिक वाटर सप्लाई (एमपीडब्ल्यूएस), टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट (टीटीएसपी) की मानकों के अनुसार स्थापना एवं निगरानी सुनिश्चित की जाए। जल भराव तथा वनस्पतियों की वृद्धि को रोकने के लिए सड़कों तथा पेवमेंट का निर्माण कराया जाए। सड़क किनारे उगी वनस्पतियों को नियमित रूप से हटाया जाना, शहरी क्षेत्रों एवं शहरी मलिन बस्तियों के संवेदनशील आबादी समूहों में अपनी गतिविधियों को केंद्रित करना और संवेदनशील क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करना आवश्यक है। इसके अलावा संवेदनशील क्षेत्रों तथा शहरी मलिन बस्तियों में विभागीय गतिविधियों की प्रगति आख्या भौतिक प्रगति के अभिलेखीकरण के साथ तैयार कराई जाए।