हमीरपुर। सुमेरपुर कस्बा स्थित गायत्री तपोभूमि प्रांगण में आयोजित हुई श्री गायत्री महायज्ञ की 67वीं वर्षगांठ पर श्रद्धा का जन सैलाब उमड़ रहा है। इस दौरान कथा सुनने के लिए श्रोताओं की भारी भीड़ वहां पहुंची।
गुरुवार को श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए कथा पंडाल खचाखच भरा हुआ था। कथा व्यास दुर्गा प्रसाद द्विवेदी ने भक्त ध्रुव की कथा सुनाते हुए कहा कि मां आदि गुरु होती है। वह पुत्र को जैसा चाहे वैसा बना सकती है। जैसा कि ध्रुव की मां सुमिति ने पिता की बजाय परमपिता की गोद में बैठने के लिए मार्ग बताया। कहा कि जीवन में जब तक त्याग नहीं होता। तब तक संतों या भगवान के दर्शन नहीं हो सकते हैं। भगवान की प्राप्ति के लिए साधना के साथ भक्ति का मार्ग अपनाना होगा। कथा व्यास ने कहा कि निष्काम भाव से कार्य करने से ही ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
जीवन में मनुष्य को संतों से सत्संग अवश्य करना चाहिए। तभी हृदय के विकार दूर हो सकते हैं। विकार दूर होने से हृदय निर्मल होता है। तभी ईश्वर की प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि चार चींजे जमीन पर नहीं रखनी चाहिए। जिसमें ब्राह्मण,शालिगराम, संत और ग्रंथ हैं। बताया कि भक्त जिस रूप में भगवान के दर्शन चाहते हैं। भगवान उस रूप में उसे दर्शन देते हैं। उधर यज्ञवेदी में 61 ब्राह्मणों द्वारा गायत्री मंत्र का जाप निरंतर जारी है। व्यापार मंडल अध्यक्ष महेश गुप्ता दीपू व गणेश सेवा समिति के सदस्यों ने कथा व्यास को फूलों की माला व अंगवस्त्र पहनाकर आशीर्वाद लिया।