पशुपालन विभाग के विशेष सचिव द्वारा की गई निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु कार्य योजना की समीक्षा

बेहतर कार्ययोजना बनाकर कैटल कैचर की मदद से निराश्रित गोवंश को करें संरक्षित: विशेष सचिव

बलिया। पशुपालन विभाग के विशेष सचिव/ नोडल अधिकारी अमरनाथ उपाध्याय की अध्यक्षता में निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु समीक्षा बैठक बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित की गई। जिसमें छुट्टा पशुओं को पकड़ने के लिए बेहतर कार्ययोजना पर विचार विमर्श किया गया।

नोडल अधिकारी ने बताया कि कल शाम से मैं जिले में हूं और नगर पालिका रसड़ा एवं ब्लॉक दुबहड़ व हनुमानगंज के गो आश्रय स्थल का भ्रमण किया है। कहा कि ग्रामीण अंचल में तो छुट्टा पशु नहीं मिले, लेकिन नगरीय क्षेत्रों में रेलवे स्टेशन वाले रोड पर आवारा पशु दिखे। उन्होंने नगरी क्षेत्रों के नोडल अधिकारी सीआर‌ओ और ग्रामीण क्षेत्रों के नोडल अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश दिया कि स्थानीय लोगों के सहयोग व ग्राम प्रधान और कैटल कैचर की मदद से आवारा गोवंशीय पशुओं को गो आश्रय स्थल में संरक्षित कराना सुनिश्चित कराएं। बताया कि शासन स्तर से लगभग 2000 निराश्रित गोवंशीय पशुओं को आवारा पशुओं के रूप में चिन्हित किया गया है। एक नवंबर से लेकर 31 दिसंबर तक इन आवारा पशुओं को गो आश्रय स्थलों तक पहुंचना है और वहां पर उनके लिए भूसे, हरे चारे, पानी, उपचार एवं प्रकाश की समुचित व्यवस्था भी सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि खेत खलिहानों, बगीचों झुरमुटों और नदियों के किनारे इन पशुओं के पाए जाने की अधिकता है। उन्होंने बीडीओ को निर्देश दिया के ग्राम प्रधान व स्थानीय पशुपालकों के माध्यम से पहले मैसेज देकर इन आवारा पशुओं का चिन्हांकन करके ग्रामीणों के सहयोग और कैटल कैचर की मदद से पशुओं के पकड़ने की कार्ययोजना बनाने से आपकी सफलता बढ़ जाएगी और अधिक से अधिक आवारा पशु पकड़े जा सकेंगे, ऐसा मेरा सुझाव है। उन्होंने जिलाधिकारी को निराश्रित गोवंश के संरक्षण लिए किए गए कार्यों के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि इस अभियान में थोड़ी और गति देने की जरूरत है। जिलाधिकारी ने कहा कि नगरीय और ग्रामीण क्षेत्र के लिए नामित नोडल अधिकारी अपने कार्य की गंभीरता समझते हुए नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाने वाले आवारा पशुओं को गो आश्रय स्थलों पर संरक्षित करवाना सुनिश्चित करवाएं। कहीं भी आवारा पशु नहीं दिखने चाहिए। उन्होंने कहा कि जनपद स्तर पर एक कंट्रोल रूम बनाया जाए। जिसमें ब्लॉकवार और नगरीय क्षेत्रवार सूचना इकट्ठा की जाए कि प्रतिदिन कितने आवारा पशु पकड़े जा रहे हैं। उन्होंने विशेष सचिव को ग्रामीण क्षेत्रों की गौशालाओं को सुरभि स्थल आत्मनिर्भर और आदर्श गौशाला के बारे में बताया। कहा कि इन गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चारागाह से संबद्ध किया गया है। ग्राम पंचायतों के माध्यम से पराली दो खाद लो और गाय के गोबर से विभिन्न प्रोडक्ट बनाएं और बेचे जा रहे हैं। जिलाधिकारी ने सभी पशु चिकित्सा अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों को जनपद के आवारा पशुओं के संरक्षित करने के लक्ष्य को पूर्ण करने का निर्देश दिया। इस मौके पर सीडीओ ओजस्वी राज, सीआर‌ओ त्रिभुवन और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी महेंद्र प्रताप सिंह सहित सभी ब्लॉकों के खंड विकास अधिकारी मौजूद रहे।

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