बलिया। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने मछुआ आरक्षण के मामले पर मछुआ समाज को गुमराह करने का काम किया है। उत्तर प्रदेश में जब बहुजन समाज पार्टी की सरकार आती है तो मछुआ समाज की सभी उपजातियों को एससी से निकालकर पिछड़ी में डाल दिया जाता है और जब समाजवादी पार्टी की सरकार आती है तो पिछड़ी से निकालकर अनुसूचित में डाल दिया जाता है।
यह बातें कैबिनेट मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने मेरा माटी मेरा देश कार्यक्रम बलिया पहुँचे और
बलिया नगर के टाउन हॉल में निषाद पार्टी द्वारा आयोजित संवैधानिक मछुआ एससी आरक्षण जनसंपर्क अभियान सभा में कहा।
उन्होंने कहाकि समाजवादी पार्टी की सरकार ने मछुआ समाज की सभी उपजातियां को पिछड़ी जाति में बताकर अनुसूचित में डालने का काम किया, जिससे आरक्षण का मुद्दा और उलझ गया है। बताया कि आजादी से पूर्व और आजादी के बाद भी साल 1931, 1941, 1951, 1961, 1971, 1981 और 1991 तक उत्तर प्रदेश राज्य में मछुआ समाज की सभी उपजातियां की गिनती मझवार और तुरैहा में कराई जाती रही है। किंतु पूर्व की सरकारों ने मछुआ समाज के दोहन के लिए बिना संसद में संशोधन के मछुआ समाज की सभी उप नातियों को अनुसूचित से निकालकर पिछड़े में डाल दिया और पूर्व की सरकारों द्वारा इस मुद्दे पर केवल वोट बैंक को राजनीति की गई है। बताया कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ने RGI “रजिस्ट्रार जनरल ऑफ़ इंडिया” को मछुआ आरक्षण के संबंध में पत्र लिखकर जानकारी मांगी गई थी। RGI ने कहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य में केवट, मल्लाह, बिंद समेत 17 जातियां मछुआ समाज की उपजातियां है।
कहा की मछुआ समाज को कभी मत्स्य विभाग की योजनाओं का लाभ नही मिला है। कारण पूर्व की सरकारों ने मछुआ समाज को योजनाओ से वंचित रखा गया है। प्रदेश में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड(मत्स्य पालन क्षेत्र में), निषाद राज बोट योजना, मछुआ कल्याण कोष, प्रधानमंत्री मछुआ बीमा योजना जैसी जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। जिससे मछुआ समाज को सीधे तौर पर लाभ मिल रहा है।