बिना धर्म बदले शादी करेंगी सोनाक्षी सिन्हा?

नई दिल्ली. इन दिनों सोनाक्षी सिन्हा-जहीर इकबाल की शादी चर्चे में है इसकी खास वजह दोनों का धर्म है सोनाक्षी जहां हिंदू धर्म को मानती हैं वहीं उनके प्रेमी जहीर इस्लाम धर्म को मानते हैं ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि सोनाक्षी निकाह करेंगी या फिर जहीर संग सात फेरे लेंगी कपल जिस भी धर्म से शादी करेगा जाहिर है कि उस पर बहुत सारी अच्छी-बुरी प्रतिक्रियाएं आएंगी लेकिन कपल की शादी को लेकर जो खबरें सामने आई हैं उससे साफ जाहिर है कि दोनों बगैर अपना धर्म बदले ये शादी करेंगे विवादों से बचने के लिए और जहीर से शादी करने लिए सोनाक्षी ने तीसरा रास्ता अपनाया है बिना धर्म बदले शादी करने की इजाजत उन्हें स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के जरिए ही मिल सकती है इस एक्ट के तहत शादी करने पर सोना को अपना धर्म नहीं बदलना पड़ेगा और वह अन्य सितारों की तरह अपनी लाइफ जीएंगी

स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 एक्ट के तहत शाहरुख खान और गौरी खान ने भी शादी की थी सोनाक्षी-जहीर के साथ अभी जो समस्या है वही समस्या शाहरुख की लाइफ में आई थी जब वे हिंदू धर्म में यकीन करने वाली गौरी से विवाह करने जा रहे थे उन्होंने विवादों से बचने के लिए और धर्म परिवर्तन किये बगैर दोनों ने कोर्ट मैरिज की थी 6 अगस्त 1991 को शाहरुख ने गौरी संग कोर्ट में शादी की थी इसके बाद दोनों का निकाह भी हुआ और 25 अक्टूबर 1991 को शाहरुख-गौरी हिंदू रीति-रिवाजों से शादी के बंधन में बंधे थे

इन सितारों ने भी अपनाया ये रास्ता
शाहरुख खान की तरह सैफ अली खान ने पहले अमृता सिंह के साथ कोर्ट मैरिज की थी हालांकि बाद में दोनों का तलाक हो गया अमृता से तलाक लेने के बाद सैफ ने फिर से करीना कपूर संग स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तरह कोर्ट मैरिज की थी करीना ने भी बिना धर्म बदले सैफ को जीवन साथी बनाया था वहीं आमिर खान किरण राव, आमिर खान- रीना दत्ता की भी शादी इसी एक्ट के तहत हुई थी स्वरा भास्कर ने भी फहाद जिरार अहमद से इसी एक्ट के तरह अपनी शादी रचाई थी अब सोनाक्षी सिन्हा भी इस एक्ट को फॉलो करते हुए अपनी लाइफ में आगे बढ़ने की सोच रही हैं

जानिए क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट
स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 जिसे एसएमए भी कहते हैं सिविल मैरिज का कानून है जो धर्म की जगह राज्य को विवाह कराने का अधिकार देता है विवाह, तलाक, बच्चे को गोद लेने जैसे काम धार्मिक नियमों के तहत निर्धारित होते हैं जिन्हे अलग से कानून का रूप दिया गया है इन्हें पर्सनल लॉ कहा जाता है मुस्लिम मैरिज एक्ट 1954 और हिंदू मैरिज एक्ट 1955 इसी कानून के तहत आते हैं लेकिन एसएमए में बिना धर्म परिवर्तन किए या अपनी धार्मिक पहचान गंवाए ही दो अलग धर्म (केवल हिंदू या मुस्लिम ही नहीं) के व्यक्ति शादी कर सकते है भारत में सिविल और धार्मिक दोनो ही तरह के विवाह की स्वीकृति है इसमें भारत के धर्मों के लोग जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, शामिल हैं इस नियम में कुछ शर्तें जरूर हैं लेकिन वे किसी धर्म के आड़े आने वाली शर्तें नहीं लगती हैं

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