स्मृति ने अमेठी के गौरीगंज स्थित मेदन मवई गांव में बनाया अपना स्थाई ठिकाना

अमेठी। अमेठी से गांधी परिवार के करीबी व सोनिया गांधी के चाणक्य किशोरी लाल शर्मा का चुनावी मैदान में उतारने की कांग्रेस की रणनीति कितनी कारगर साबित होगी। इसका फैसला तो आने वाले चार जून को मतों की गिनती के बाद ही पता चलेगा, लेकिन अमेठी के चुनावी रणभूमि से राहुल गांधी के हटते ही अमेठी की राजनीतिक हवा पूरी तरह बदल गई है।

पिछले पांच साल में पांच बार आने वाले राहुल गांधी से पिछले दो आम चुनावों में सीधे दो-दो हाथ करने वाली स्मृति इरानी ने अमेठी के मेदन मवई गांव में अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है। लंबे समय तक कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जानी वाली अमेठी सीट से आम चुनाव 2019 में भाजपा की स्मृति इरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 55,120 वोट से हरा दिया था।

हार के बाद स्मृति को बनाया था मंत्री
भाजपा की स्मृति इरानी आम चुनाव 2014 में पहली बार मतदान के 23 दिन पहले अमेठी पहुंची। इससे पहले कांग्रेस के राहुल गांधी के मुकाबले आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास ने ताल ठोक रखी थी। कम ही समय में स्मृति ने राहुल गांधी के मुकाबले भाजपा को 3,00,748 मत दिलाकर अमेठी में एक नई संभावना को जन्म दिया। हार के बाद स्मृति को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया तो स्मृति ने भी अमेठी से अपना नाता जोड़ लिया।

अमेठी के साथ केरल से भी लड़े थे राहुल
स्मृति की अमेठी में बढ़ती सक्रियता के चलते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आम चुनाव 2019 में अमेठी के साथ केरल के वायनाड से भी चुनावी मैदान में उतरे। उनकी इस चाल का अमेठी में विपरीत असर पड़ा और तीन बार लगातार जीत दर्ज करने वाले राहुल गांधी भाजपा की स्मृति इरानी से चुनाव हार गए। जिसके बाद राहुल गांधी अमेठी से धीरे-धीरे दूर होते गए।

कांग्रेस की भारत जोड़ों न्याय यात्रा सहित पिछले पांच सालों में पांच बार ही राहुल अमेठी आए हैं। अमेठी से राहुल की यही दूरी अब कांग्रेस व उसके उम्मीदवार पर भारी पड़ती दिख रही है।

बसपा से नन्हे सिंह मैदान में
बसपा से नन्हे सिंह चौहान मैदान में हैं। अभी अमेठी में वह अपनी पहचान बनाने में लगे हुए हैं। भाजपा उम्मीदवार स्मृति इरानी ने संसदीय क्षेत्र के अधिकांश गांवों तक पिछले दो माह में पहुंच चुकी हैं। भाजपा का संगठन भी कांग्रेस के मुकाबले बूथ-बूथ मजबूत है।

कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा पिछले तीन दिनों से अमेठी में सक्रिय हैं। वहीं राहुल गांधी के अमेठी छोड़ रायबरेली जाने से कांग्रेस में मायूसी भी है। आने वाले दिनों में देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस व किशोरी लाल शर्मा कितनी जल्दी अपने कार्यकर्ताओं को इससे बाहर लाने में कामयाब होते हैं।

Related Articles

Back to top button