टिकैतनगर (बाराबंकी): क्षेत्र के सराय नेतामऊ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास सुरेश चंद्र मिश्रा जी महराज ने सुदामा चरित्र का प्रसंग सुनाया गया। भजन के माध्यम से कहा कि धोती फटी सी लटी दुपटी, अरु पाय उपाहन की नहि सामा, द्वार खड़ो द्विज दुर्लभ सो, बतावत आपनो नाम सुदामा, भजन सुन श्रोता भक्तिरस में डूब गए। श्रीकृष्ण के जय-जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया।उन्होंने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि गरीब ब्राम्हण सुदामा कृष्ण के परम मित्र थे। वे बड़े ज्ञानी ,विषयों से विरक्त एवं जितेन्द्रिय थे। वह भिक्षा मांगकर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। उनकी पत्नी जब बहुत कमजोर हो गयीं तो उन्होंने सुदामा जी से आग्रह किया कि आप अपने बचपन के मित्र कृष्ण के पास जाएँ वह आपकी मदद जरूर करेंगे | पत्नी की हठ के कारण सुदामा जी पत्नी के दिए हुए तंदुल लेकर द्वारका पहुँचते हैं।द्वारपाल को कहा कि कृष्ण से कह दो कि उनके बचपन का मित्र सुदामा आया है।भगवान को जैसे ही खबर मिलती है नंगे पैर दौड़ पड़ते हैं ,कृष्ण सुदामा को गले लगा लेते हैं।भगवान कृष्ण, सुदामा की दीन दशा देखकर रोने लगते हैं ”देखि सुदामा की दीन दशा ,करुणा करके करुणा निधि रोये ,पानि परात को हाथ छुओ नहीं नैनन के जल सों पग धोये”। कृष्ण पटरानियों सहित सुदामा की सेवा करते हैं और जब वापस लौटते हैं तो अपनी सुदामापुरी को द्वारकापुरी जैसा बना भव्य पाया। सुदामा के आँखों में आंसू आ गए कि हे मित्र आप बिना कहे ही सब कुछ दे देते हैं।भगवान का सुमिरन करते हुए अंत में प्रभु के धाम पहुँचते हैं। चेयरमैन जगदीश प्रसाद गुप्ता,कालिका प्रसाद तिवारी,रविकांत दीक्षित,पंकज शुक्ला,सुभाष शर्मा,आसाराम जायसवाल, अश्वनी कुमार मिश्रा आदि लोग मौजूद रहे।