सिद्ध संत जंगली बाबा की दर पर आज भी पुरी होती हैं मुरादें

धनतेरस के दिन पुण्यतिथि पर जाम में वृहद पैमाने पर आयोजित होगा बाल भोज व प्रवचन

रसड़ा (बलिया)। महान सिद्ध संत श्री जंगली बाबा की दर पर सच्चे मन से मन्नत मांगने वाले भक्तों की सभी मुरादें पूर्ण होती हैं। वैसे तो बलिया की धरती अनेक संत-महात्माओं का अवतरण हुआ है, परंतु उनमें जंगली बाबा एक विशेष अनुसरणीय संत थे। कहा जाता है कि वे बचपन से ही विलक्षण थे। जंगली बाबा का जन्म उन्नीसवीं सदी में रसड़ा ब्लाक क्षेत्र के जाम गांव हुआ था। जंगली बाबा के वर्तमान समय में तीन स्थानों पर भव्य मंदिर हैं, जहां पर दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस पर बाबा की पुण्यतिथि पर वृहद बाल भोज एवं प्रवचन का कार्यक्रम प्रतिवर्ष होता है। जाम गांव में जन्म स्थान, गड़वार में समाधि स्थान तथा कठौरा में कर्म व तप स्थान का मंदिर है। किंविदंतियाओ के अनुसार बचपन से ही उनका मन दुनियादारी में नहीं लगता था। वे अपने संग के सभी बच्चों से अलग रहते थे। वे शौक के तौर पर गायें चराते थे। बचपन से ही वे कुशाग्र एवं देवत्व बुद्धि के थे। वे क्षत्रिय कुल में सेंगर वंश में पैदा हुए थे। मां-बाप द्वारा शादी का दबाव बनाये जाने पर वे सुदिष्ट बाबा के आश्रम बैरिया चले गए थे। जंगली बाबा के जन्म से लेकर अंत तक उनके चमत्कार के अनेकानेक वृंतात हैं। जिन्हें सुनकर आज भी लोग हैरत में पड़ जाते हैं। जनश्रुतियों के अनुसार कठौड़ा सिंकदरपुर में बाबा प्रवचन कर रहे थे। उनके शिष्यों के साथ एक महिला भी बाबा का प्रवचन सुन रही थी। प्रवचन समाप्त होने के पश्चात सभी लोग चले गए। बाबा ने देखा कि महिला को घाघरा के उस पार जाना है और रात हो चुकी है। बाबा बोले चिंता मत करो, उन्होंने लाठी के सहारे ही महिला को घाघरा के पार पहुंचा दिया। कहा कि इस घटना को किसी को मत बताना अन्यथा तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी। बाबा के इस चमत्कार की बात हथुआ के राजा-रानी तक पहुंच गई और वे बाबा के आशीर्वाद से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होने पर हथुआ के राजा ने जाम, गड़वार व कठौरा में जंगली बाबा का भव्य मंदिर बनवाया। वर्तमान में भी धनतेरस पर बाबा की पुण्यतिथि पर जाम सहित गड़वार व कठौरा में अनेकानेक कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धा पूर्वक स्मरण किया जाता है।

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