राशन घोटाले और संदेशखाली मामले से आया चर्चा में शाहजहां शेख कौन है…

नई दिल्ली। राशन घोटाला और संदेशखाली मामले का आरोपी टीएमसी नेता शाहजहां शेख कई दिनों तक गायब रहने के बाद आखिरकार बंगाल पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। शाहजहां 55 दिनों से फरार चल रहा था और उसपर संदेशखाली में महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने तक के आरोप लगे हैं। 

टीएमसी नेता शाहजहां पर जमीन गबन तक के आरोप लगे हैं। शाहजहां बांग्लादेश से संदेशखाली आया था और यहां आकर मजदूरी करने लगा था। देखते ही देखते उसने अपार संपत्ति जुटा ली और संदेशखाली में खौफ का दूसरा नाम बन गया। आइए, जानें आखिर कैसे शाहजहां शेख ने अपना इतना बड़ा आतंक का अड्डा बनाया।

राशन घोटाले और संदेशखाली मामले से आया चर्चा में…

दरअसल, शाहजहां शेख पर पश्चिम बंगाल के राशन वितरण घोटाले में 10 हजार करोड़ का गबन करने का आरोप है। ईडी ने इसी मामले में सबसे पहले बंगाल के पूर्व मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार किया था। इसके बाद जब ईडी की टीम शाहजहां शेख को पकड़ने संदेशखाली पहुंची तो उसी पर ही हमला हो गया। शाहजहां के समर्थकों ने ऐसा अटैक किया कि ईडी के कई अधिकारी बुरी तरह घायल हो गए।

ज्योतिप्रिय मल्लिक का माना जाता है खास

शाहजहां शेख को ज्योतिप्रिय मल्लिक का काफी खास माना जाता है। उसे अपने इलाके में ‘भाई’ भी कहा जाता है। राशन घोटाले में मल्लिक के पकड़े जाने के बाद शाहजहां ईडी के निशाने पर आ गया था।

बांग्लादेश से आकर की मजदूरी और बन गया डॉन

शाहजहां बांग्लादेश से बंगाल आया था और यहां आकर उसने अपना खौफ का सम्राज्य खड़ा कर दिया। उत्तर 24 परगना का संदेशखाली बांग्लादेश की सीमा से जुड़ा है, इसी वजह से वो यहां आकर रहने लगा। शुरू में शाहजहां ने खेतों और ईंट-भट्ठों पर मजदूर की तरह काम किया। ईंट-भट्ठों के मजदूरों के साथ काम करते करते उसने एक यूनियन बना ली और फिर इलाके में मेल जोल बनाकर उसने माकपा में एंट्री पा ली।

मामा ने करवाई राजनीति में एंट्री, ज्योतिप्रिय के सहारे TMC में आया

शाहजहां शेख बंगाल के पूर्व मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक का हाथ पकड़कर तृणमूल में आया था। शाहजहां का राजनीति में पदार्पण हालांकि वाममोर्चा के शासनकाल में हुआ था। उसके मामा मोसलेम शेख उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली इलाके में माकपा के कद्दावर नेता व पंचायत प्रधान थे। मामा की शह पर शाहजहां ने मछली पालन केंद्र खोला था। उससे पहले वह संदेशखाली-सरबेरिया रूट पर चलने वाले ट्रेकर पर चढ़ने वाले यात्रियों के टिकट की जांच करता था। संदेशखाली के सभी मछली पालन केंद्रों पर मामा-भांजे का नियंत्रण था। 

बंगाल में सत्ता परिवहन की लहर चलने के साथ ही शाहजहां ने माकपा से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। 2011 में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 2013 में वह भी ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल हो गया। 

17 कारों के साथ है करोड़ों की संपत्ति का मालिक

राज्य चुनाव आयोग में दायर हलफनामे के अनुसार, शाहजहां के पास करोड़ों की संपत्ति है। इसमें 17 वाहन, 2.5 करोड़ रुपये के सोने के गहने और 14 एकड़ से अधिक जमीन शामिल है। इन सबकी कुल कीमत चार करोड़ रुपये है।

इसके अलावा, उसी हलफनामे में बताया गया है कि उसके पास बैंक में 1.92 करोड़ रुपये जमा हैं। 

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