सुरक्षित सरकारी जमीन सिर्फ सरकारी दस्तावेजों में सिमटी

राम मोहन गुप्ता 

 बीकेटी लखनऊ: तहसील बख्शी का तालाब के अंतर्गत विभिन्न गांवो की सुरक्षित जमीन सिर्फ सरकारी दस्तावेजों में ही सिमट कर रह गई है। गांव के खलिहान, चरागाह, मरघट की जमीनी अब सिर्फ सरकारी दस्तावेजों की शोभा बढ़ा रहे है। जिन पर अनाधिकृत मकान बन गए है,या फिर दबंगों की नजर लग गई है। जिससे जहां  खलिहान में किसान अपनी फसल की मड़ाई करते थे। वही खलिहान के नाम से फिल्मी गाने तक भी फिल्माए गए। मड़ाई के समय बैलों के गले में पड़े घुंघरूओं के रागों की शान अलग होती थी। लेकिन अब वर्तमान में खलिहानो का अस्तित्व विलुप्त होता नजर आ रहा है।

        ग्राम पंचायत परसहिया मलिकपुर इंदारा, अमानीगंज,सुल्तानपुर, बरगदी, बगहा इसी तरह अन्य दर्जनों ग्राम पंचायत के नागरिकों ने बताया उनके गांव की खलिहान की जो सुरक्षित जमीन थी । उस पर अवैध मकानों का निर्माण  हो गया । इसके अलावा मरघट की जमीन महफूज नहीं हैं।जिससे जहां खलिहान में गेहूं कटाई के समय गुलज़ार रहते थे । बैलों की जोड़ियों के साथ फसलों की मड़ाई होती थी ।जो एक अलग दृश्य महसूस होता था। जो अब विलुप्त हो गई है।इसके अलावा कनौरा शाहपुर ग्राम पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कई वर्ष पहले खलिहान की जो सुरक्षित जमीन पड़ी रहती थी। जहां सिर्फ किसानों की फसलें नजर आती थी वहां अब अवैध मकान नजर आ रहे है। इसी तरह ग्राम पंचायत पालपुर के मजरा बनगांव, कुंडापुर में जो खलिहान की जमीन पड़ी थी। वहां पर अब भारत संचार निगम लिमिटेड की बिल्डिंग बन गई है। जिससे किसानों को अब फसलें लगाने के लिए जगह महफूज नहीं रही है। इस समस्या को लेकर गांवों के नागरिकों ने कई बार समाधान दिवस तथा तहसील मुख्यालय पर जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत की। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई । जिससे आज भी गांव के खलिहान दबंग भूमाफियो का आशियाना बन गए है।

इस प्रकरण को लेकर जब तहसीलदार बीकेटी राजेश विश्वकर्मा से उनके सीयूजी नंबर पर संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा। कई बार फोन करने के बावजूद भी फोन नहीं रिसीव किया।

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