- सीबीआई जांच शुरु होने पर बढ़ सकती हैं उद्यान विभाग के पूर्व निदेशक डा.आरके तोमर की मुश्किलें
- केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुना करने के दावों को पालीता लगा उद्यान विभाग
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के उद्यान मंत्री एवं विभागीय अफसरों का ये प्रयास रहा है कि उद्यान विभाग के एक बड़े घोटाले की सीबीआई जांच न हो, लेकिन शिकायतकर्ता शुरु से ही दावा करता रहा कि किसानों की हितैषी प्रदेश सरकार में ईमानदार छवि वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी हमारी शिकायत का संज्ञान लेंगे,और जांच करवाकर किसानों के हक पर डाका डालकर किये गये करोड़ों रुपये का घोटाला करने वाले दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।लेकिन घोटालेबाज़ पूर्व निदेशक उद्यान डा. आरके तोमर की मुख्यमंत्री एवं शासन में ऊंची पहुंच के चलते मेरी शिकायत पर जांच ही नहीं हुई। वहीं, शिकायत करने वाले सेवानिवृत्त हुए वित्त एवं लेखाधिकारी उद्यान विभाग जमाल अहसन उस्मानी ने अब उक्त घोटाले की सीबीआई जांच ही करवाने की बात कही है।
शिकायतकर्ता श्री उस्मानी उद्यान विभाग के कारनामों पर हैरानी जता रहे हैं, वह खुद ही मुख्यमंत्री व शासन में बैठे उच्चाधिकारियों को भेजी गयी अपनी लिखित शिकायत में बता रहे हैं कि किसानों के नाम पर कितना बड़ा घोटाला हुआ?अब उद्यान मंत्री और शासन में बैठे अधिकारी भी नहीं चाहते हैं कि उद्यान विभाग में निदेशक द्वारा किया गया करोड़ो रुपये का यह घोटाला मुख्यमंत्री जी के पास जाए नहीं तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और उद्यान विभाग के घोटाले का पर्दाफाश होकर निदेशक डा.तोमर से लेकर अन्य कई उच्चाधिकारी फंस जाएंगे।बता दें कि वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में ‘एकीकृत बागबानी विकास मिशन’ और ‘राष्ट्रीय कृषि विकास योजना’ में ‘शंकर शाक भाजी’ एवं ‘मसाला बीज क्रय’ में ‘कैश डीबीटी’ के स्थान पर ‘काइंड, इनपुट्स डीबीटी’ की व्यवस्था भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के विपरीत लागू की गयी।
शासन के निर्देशों के विपरीत बिना निविदा कराये संस्थाओं एवं दरों का चयन किया गया। कुल आवश्यकता का 90 प्रतिशत कार्य नैफेड संस्था की कृषि बेस्ट कंपनी को दिया गया, जबकि शासन द्वारा सभी 4 चयनित संस्थाओं को समान अवसर प्रदान करने के निर्देश दिये गये थे। इस प्रकार मनमाने ढंग से काइंड डीबीटी लागू करने, एक ही संस्था से अधिकांश अधोमानक बीज सामाग्री क्रय कर शासन को लगभग रुपया 60 करोड़ रुपये का घोटाला कर नुकसान पहुंचाया गया। इसी तरह डॉ.आरके तोमर उद्यान निदेशक द्वारा ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ में 93 ‘कम्प्यूटर ऑपरेटर’ संविदा कर्मी की भर्ती प्रक्रिया में किये गये घोटाले, जिसमे इंटरव्यू कमेटी ने 104 ऑफ लाइन प्राप्त आवेदन के सापेक्ष जिन 32 अभ्यर्थी को फेल किया था, निदेशक डा.आरके तोमर द्वारा उनकी नियुक्ति कर दी गयी तथा जिन 22 अभ्यर्थी को पास किया था। उनमें से केवल 14 अभ्यर्थी को नियुक्त किया गया था। वहीं, 47 अभियार्थियों को बिना इंटरव्यू के मोटी रकम लेकर नियुक्त कर दिया गया।उद्यान विभाग में घोटाले की जड़ें बड़ी गहरी हैं। अब देखना होगा कि सीबीआई भ्रष्टाचार की जड़ों को कहां तक खोज और खोद पाती है।
बहरहाल, अब उम्मीद की जा रही है, कि उद्यान विभाग में घोटाले की परतें जब सीबीआई खोलेगी तब पता चलेगा कि किसानों और बागवानों के पैसा किस-किस ने डकार लिया है।