सुपुर्द-ए-खाक हुए समाजसेवी सैय्यद मो. अहसन रिज़वी

इब्राहिमाबाद कब्रिस्तान में हुए सुपुर्दे खाक, आखिरी सलाम कहने के लिए जुटे लोग

बाराबंकी। हरख विकास खंड ग्राम इब्राहिमाबाद निवासी सैयद मोहम्मद अहसन रिज़वी, का रविवार को इंतकाल हो गया। शनिवार को शाम में बड़ेल स्थित आवास पर ही उन्होंने अंतिम सांस ली। वह 75 वर्ष के थे और लंबे समय से अस्वस्थ थे। रविवार को इब्राहिमाबाद स्थित कब्रिस्तान में ही उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया। इससे पहले नमाजे जनाजा हुई। वह अपने पीछे तीन बेटे अली मिया रिज़वी, फ़ैज़ी रिज़वी, कैफ़ी रिज़वी के अलावा 3 बेटियां छोड़ गए हैं। बाराबंकी में कर्बला सिविल लाइन्स के निर्माण में उनकी अहम भूमिका रही है। अहसन रिज़वी सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि एक प्रेरणा का प्रतीक थे। अहसन का अर्थ है ‘करुणा’, ‘मेहरबानी’ और ‘नेकी’। यह नाम समाज के लिए काम करने वाले व्यक्ति की आत्मा को प्रेरित करता है, जिन्होंने अपना जीवन समाज की सेवा में समर्पित किया है।

अहसन रिज़वी समाज, घर और खानदान के असहाय और गरीबों के प्रति एक विशेष ध्यान और समर्पण की भावना रखते थे। उन्होंने अपना जीवन को उन लोगों की सेवा में समर्पित किया जो अपने आप को समर्थ नहीं महसूस करते हैं। उनकी सेवा एक जीवनशैली थी, जो समृद्धि और समृद्धि की दिशा में नहीं, बल्कि समाज की उन आवाजों की ध्यान में होती है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है। अहसन रिज़वी जीवन के हर क्षण में समाज की सेवा के लिए तैयार रहते हैं, चाहे वह आर्थिक, शैक्षिक, या स्वास्थ्य सेवा हो। जो अपने जीवन को उन लोगों की सेवा में समर्पित करते हैं जो उनकी सहायता की आवश्यकता है। अहसन रिज़वी ने अपने जीवन के सभी चरणों में समाज की सेवा का मार्ग अपनाया है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कई सामाजिक कार्यों को संचालित किया है, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबों की सहायता, और मानवीय सेवा। सैयद अहसन रिज़वी एक ऐसे समाज सेवक रहे हैं जिन्होंने अपने जीवन को समाज की सेवा में समर्पित किया है।

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