निष्पक्ष प्रतिदिन
लखनऊ। हाथरस में जिन नारायण साकार हरि के भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने से सैकड़ों लोगों की जान गई वह अन्य संतों या बाबाओं की तरह गेरूआं वस्त्र नहीं बल्कि सफेद पैट-शर्ट और जूते पहनता है। कभी कभी तो सफेद सूट में सत्संग करते है। सत्संग में वह अक्सर अपनी पत्नी के साथ देखे जाते है। मानव मंगल मिलन सदभावना समागम के नाम से होने वाले उनके सत्संगों में अक्सर भारी भीड़ आती है।
नारायण साकार हरि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के एटा जिले के बहादुर नगरी गांव के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआत पढ़ाई लिखाई यहीं हुई। उच्च शिक्षा के बाद गुप्तचर विभाग की नौकरी कर ली। काफी समय तक नौकरी करते रहे, फिर आध्यात्म की तरफ मुड़ गए. आध्यात्मिक जीवन में आने के बाद अपना नाम सूरजपाल से बदलकर नारायण साकार हरि रख लिया। पटियाली गांव में आश्रम बना लिया.।
साकार हरि अपने सत्संग में खुद बताते हैं कि नौकरी के दिनों में उनका मन बार-बार आध्यात्म की तरफ भागता था। नौकरी के बीच उन्होंने निस्वार्थ भाव से भक्तों की सेवा का कार्य शुरू कर दिया. फिर इसी रास्ते पर चल पड़े। करीब 26 साल पहले उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और आध्यात्म में रम गए। फिर वीआरएस लेकर बाबा बन गए और प्रवचन देने लगे। साकार हरि का दावां हैं कि उनके समागम में जो भी दान, दक्षिणा, चढावा वगैरह आता है, उसे अपने पास नहीं रखते बल्कि भक्तों में खर्च कर देते हैं। वह स्वयं को हरि का शिष्य कहते हैं। नारायण साकार हरि के अनुयायी पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तराखंड में ज्यादा हैं।