मुरादाबाद। चुनाव से पहले आजम बनाम अखिलेश की जंग अब नया रूप लेती जा रही है। पार्टी में खेमों की हद बढ़ने लगी है। लोकसभा चुनाव के परिणाम को आए अभी दो दिन ही बीते हैं। दो सांसदों में पार्टी महासचिव आजम खां को लेकर जुबानी जंग सामने आई है। यह बात पार्टी फोरम में होती, तो ठीक थी।
बयानबाजी सार्वजनिक रूप से की गई है। रामपुर के नवनिर्वाचित सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने उन्हें (आजम खां) सुधार गृह में बताते हुए दुआ की जरूरत बताई। जबकि मुरादाबाद की सांसद रुचि वीरा ने आजम से मिलने जाने की बात कहते हुए मोहिबुल्लाह को ही अपरिपक्व बता दिया।
कहने को, यह दो दिग्गजों का अपना मत हो सकता है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे सपा में चल रही गुटबाजी के चलते वर्चस्व का कारण माना जा रहा है, जिसके भविष्य में और भी तूल पकड़ने की संभावना है।
रामपुर में सपा का मतलब आजम
दरअसल, रामपुर में आजम खां का मजबूत सियासी दुर्ग रहा है। वह खुद तो लंबे अरसे तक विधायक और सांसद रहे, अपने बेटे और करीबियों को भी उन्होंने लखनऊ के सदन तक पहुंचाया है। पत्नी को भी राज्यसभा सदस्य बनवाया। रामपुर में सपा का मतलब आजम ही माने जाते रहे हैं।
2019 के बाद से उनपर ताबड़तोड़ मुकदमे दर्ज होने के बाद दुर्ग कमजोर पड़ता गया। स्थिति यह हुई कि इस लोकसभा चुनाव में उनकी मंशा के विपरीत सपा के शीर्ष नेतृत्व ने मोहिबुल्लाह को सपा प्रत्याशी बनाया और आजम खेमे के विरोध के बाद भी उन्हें रिकॉर्ड मतों से जिता लिया गया।
चूंकि नवाब खानदान और आजम परिवार इस चुनाव से सीधे नहीं जुड़े थे, इसलिए पहले से ही माना जा रहा था कि जीतने वाला रामपुर की राजनीति को धार देने वाला नया धुरंधर होगा। मोहिबुल्लाह नदवी के आजम को सुधार गृह में बताना इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
आजम खेमे के विरोध के बाद भी उन्होंने रामपुर में जीत हासिल की। जिस रामपुर के मुस्लिम मतदाता कभी आजम खां के साथ रहते थे, आज वह मोहिबुल्लाह के साथ हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए अपनी अलग पहचान के लिए यह उनकी रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि सपा के जिलाध्यक्ष, प्रदेश के दो सचिव और विधायक भी आजम खां के इशारे पर ही पार्टी के विरोध में आ गए थे और चुनाव बहिष्कार करने तक की घोषणा कर दी थी।
मुरादाबाद की राजनीति में साइड इफेक्ट
इधर, रुचि वीरा ने रामपुर के निर्वाचित सांसद को अपरिपक्व बताकर जाहिर कर दिया कि वह आजम खां के साथ खड़ी हैं। उन्हें आजम खां की पैरवी से ही टिकट मिला। पार्टी में मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए उन्हें इस सहारे की जरूरत भी है, लेकिन मुरादाबाद की राजनीति में इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं, क्योंकि निवर्तमान सांसद डा. एसटी हसन अपना टिकट कटने की वजह आजम खां को ही मानते हैं।
उन्होंने चुनाव में रुचि वीरा का विरोध तो नहीं किया, लेकिन समर्थन भी नहीं दिया। वह पूरे प्रचार के दौरान घर पर ही बैठे रहे। इसके अलावा मुरादाबाद और आसपास के जिलों में सक्रिय पार्टी के मुस्लिम नेताओं की एक लॉबी अंदरखाने आजम के बजाए पार्टी में अपना वर्चस्व चाहती है। उसने एसटी हसन को टिकट दिलाने को एड़ी से चोटी का जोर भी लगाया था। ऐसे में यह लॉबी रुचि वीरा की राह में रोड़ा पैदा कर सकती है।
ये बोले हैं सांसद
आजम खां सुधार गृह में हैं। उनको दुआ की जरूरत है। मेरी जीत जनता की जीत है। उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा।
मोहिबुल्लाह नदवी, सांसद, रामपुर (चार जून को पत्रकारों के बीच बोले)
सांसद (मोहिबुल्लाह) राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं, न जाने वह कैसे टिकट पाए और चुनाव जीत गए। आजम खां के बारे में बयानबाजी कर रहे हैं। वह अपरिपक्व नेता हैं। उन्हें (मोहिबुल्लाह) यह नहीं भूलना चाहिए कि वह पार्टी की वजह से चुनाव जीते हैं और पार्टी में आजम खां का बड़ा योगदान रहा है। शीघ्र ही उनसे जेल में मिलने जाऊंगी।
- रुचि वीरा, सांसद, मुरादाबाद (पांच जून को पत्रकारों के बीच बोलीं)
आजम खां पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। रामपुर सांसद को उनको लेकर इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी। इस बारे में शीर्ष नेतृत्व द्वारा उनसे बात भी की गई है।
- श्याम लाल पाल, प्रदेश अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी