नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने शुक्रवार को डाक विभाग में कार्यरत 2.56 लाख से अधिक ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) को लेकर एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने जीडीएस की सेवा स्थितियों में सुधार करने के लिए वित्तीय सहायता योजना लागू करने का निर्णय लिया है।
हर साल दी जाएगी सहायता राशि
इस योजना के तहत 12, 24 और 36 वर्ष की सेवा प्रदान करने वाले डाक सेवकों क्रमशः 4,320 रुपये, 5,520 रुपये और 7,200 रुपये की सहायता राशि हर साल दी जाएगी। यह राशि ‘समय संबंधी निरंतरता भत्ता (टीआरसीए)’ के रूप में दिए दाने वाले पारिश्रमिक से अलग है।
जीडीएस की सेवा स्थितियों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कार्यक्रम में कहा, ‘ग्रामीण डाक सेवक ग्रामीण क्षेत्रों में डाक प्रणाली की रीढ़ है। ढाई लाख से अधिक ग्रामीण डाक सेवक हमारे देश के दूरस्थ हिस्से में वित्तीय सेवाएं, पार्सल डिलीवरी और अन्य सेवाएं देते हैं। जीडीएस की सेवा स्थितियों में सुधार के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। वहीं, ग्रामीण डाक सेवाओं की सेवा शर्तों में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम से 2.56 लाख से अधिक जीडीएस को लाभ मिलेगा।’
सेवा वितरण नेटवर्क में बदलना पीएम का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि डाक नेटवर्क को सेवा वितरण नेटवर्क में बदलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के सभी डाकघरों को डिजिटलकरणी कर दिया है। जिनमें पासपोर्ट सेवा, आधार सेवा और डाक निर्यात केंद्र जैसी नई सेवाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने बताया कि 1.25 करोड़ से अधिक नागरिकों ने अपने पासपोर्ट डाकघरों के माध्यम से बनवाए हैं और 10 करोड़ से अधिक नागरिकों ने डाकघरों के माध्यम से आधार सेवाओं का लाभ उठाया है।
डाक नेटवर्क घटते जा रहे
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब कई देशों में डाक नेटवर्क घटते जा रहे हैं तो वहीं भारतीय सरकार ने 10,480 नए डाकघरों को खोलने का फैसला किया है। यह सभी गांवों के पांच किलोमीटर के भीतर बैंकिंग सेवाओं के प्रावधान की सुविधा प्रदान करता है। जीडीएस ग्रामीण क्षेत्रों में आधार सेवाएं, डीबीटी भुगतान भी प्रदान करता है।