काशी में 500 रुपये सालाना का स्मार्ट कार्ड बाहरियों तक को बांटने के आरोप

वाराणसी। बाबा विश्वनाथ का आंगन संवर जाने, नव्य-भव्य स्वरूप पाने की खुशी भला काशीवासियों से अधिक किसे हो सकती है। संकरी गलियों के जंजाल से मुक्त हो बाबा के घाम ने सदियों बाद गंगधार तक असल रूप में विस्तार पाया।

देश-विदेश भर से श्रद्धालु उमड़े, संख्या और आय का रिकार्ड बनाया। इससे बनारसी मन फूला न समाया लेकिन पूरा ताम-झाम उसके काम न आया। उसने बाबा के आंगन में खुद को बेगाना और कतार में बेजार पाया। काशीवासियों के लिए अलग द्वार का अफसरों की ओर से दिया जा रहा भरोसा न जाने कब चटक गया।

नेमियों के लिए सालाना 3500 रुपये में स्मार्ट कार्ड भी कमाई के फेर में अपने उद्देश्य से भटक गया। ऐसे में स्थानीय श्रद्धालु कतार में चार-पांच घंटे बेजार नजर आते हैं या मंदिर प्रशासन को कोसते आसपास के किसी अन्य शिवालय निकल जाते हैं। बाबा का स्मरण कर दूध-जल अर्पित कर भाव अर्पित कर आते हैं।

धाम को नव्य-भव्य स्वरूप देने के समय ही स्थानीयजनों के लिए अलग द्वार का भरोसा दिया गया था। इस निमित्त पिछले साल जुलाई में मंदिर कार्यपालक समिति के अध्यक्ष मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा के संयोजन में न्यासियों व अधिकारियों-कर्मचारियों के भरे-पूरे प्रतिनिधिमंडल ने महाकाल मंदिर का भ्रमण किया था।

वहां की सुविधाओं का अध्ययन के साथ ही स्थानीयजनों के लिए सिर्फ आधार कार्ड दिखा कर सीधे दर्शन के लिए जाने के लिए बनाए गए अवंतिका द्वार के बारे में भी जान-समझ लिया था। इसकी रिपोर्ट के आधार पर व्यवस्थाएं यहां भी लागू की जानी थीं, लेकिन काशी द्वार का तो पता नहीं लेकिन महाकाल मंदिर की तर्ज पर वीआइपी दर्शन के लिए 300 रुपये की सशुल्क व्यवस्था जरूर समृद्ध कर दी गई।

मंदिर में नियमित दर्शनार्थियों का 3500 रुपये सालाना का स्मार्ट कार्ड बाहरियों तक को बांटने के आरोप लगते हैं। इसमें भी नेमी बाबा से जुड़े पर्व-उत्सव पर बंदिशों में बांध दिए गए। अजीत गुप्ता, प्रमोद सिंह, राधे यादव, अजीत मुनी, सविता मिश्रा जैसे नेमी इसे भी सिर्फ कमाई का आधार बताते हैं। उनकी मांग है कि काशीवासियों के लिए अलग प्रवेश द्वार की व्यवस्था के बिना पूरी व्यवस्था बेकार है। इसके लिए लंबे समय से सिर्फ वादे किए जा रहे।

कांग्रेस उठा रही मांग
विश्वनाथ धाम में काशीवासियों की दर्शन को लेकर आए दिन हो रही फजीहत को लेकर लंबे समय से कांग्रेस व सपा आवाज उठा रही हैं। प्रशासन ने भी इसे महसूस किया था और काशीवासियों के लिए दर्शन को अलग द्वार व्यवस्था की बात कही थी लेकिन आचार संहिता प्रभावी होने के बाद यह ठंडे बस्ते में चला गया।

कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष राघवेन्द्र चौबे ने कहा कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य भव्य स्वरूप सामने आने के बाद काशीवासियाें का दर्शन करना मुश्किल हो गया है। मंदिर में काशीवासियों के दर्शन के लिए एक द्वार व्यवस्था लागू हो।

कांग्रेसजन पिछले एक साल से काशीवासियों के सुगम दर्शन हेतु एक द्वार निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं। प्रशासन ने आश्वस्त भी किया था कि एक अलग द्वार से काशीवासियों को दर्शन की सुगम व्यवस्था की जाएगी। लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के दबाव में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा यह व्यवस्था इसलिए नहीं की गई कि इसका श्रेय आइएनडीआइए गठबंधन को चला जाएगा।

महानगर अध्यक्ष ने चेतावनी दी और कहा कि अब चुनाव समाप्त हो चुका है। काशी की संस्कृति व काशीवासियों के आस्था संग खिलवाड़ गलत है। सोमवार तक काशीवासियों के लिए अलग द्वार की व्यवस्था नहीं होती है तो कांग्रेसजन विश्वनाथ मंदिर के द्वार पर शासन-प्रशासन के विरुद्ध अनशन तब तक करेंगे जब तक काशीवासियों को सुगम दर्शन की व्यवस्था नहीं हो जाती है।

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