‘विश्व की महान महिलाएं’ पुस्तक की समीक्षा

  • डॉ अम्बरीष ‘अम्बर ‘

भारतीय संस्कृति और भारतीय जीवन मूल्यों के अनुसार जीवन जीने वाले वरिष्ठ साहित्यकार अकबाल बहादुर ‘राही’ संक्षेप में ए राही ने अपनी सद्य: प्रकाशित पुस्तक ‘विश्व की महान महिलाएं’ आलोचना एवं समीक्षा लिखने हेतु भेंट की। पुस्तक का प्रकाशन उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की प्रकाशन अनुदान योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में हुआ है। अवध भारती प्रकाशन, नरौली, बाराबंकी इसकी प्रकाशक संस्था है तथा पुस्तक की सहयोग राशि 350 रुपए है। प्रथम दृष्टया पुस्तक का कलेवर व मुद्रण आकर्षक है। प्रस्तुत पुस्तक ‘विश्व की महान महिलाएं’ में विश्व की अट्ठाइस महान महिलाओं का व्यक्तित्व एवं कृतित्व बड़ी मेहनत से एक स्थान पर अच्छी भाषा में दिया गया है जो न केवल भारत बल्कि विश्व साहित्य को भी समृद्ध करता है।

नारी का स्थान आदि काल क्या आदिम युग से शीर्ष पर न रहकर हाशिए पर रहा है। यह पुस्तक नारी को मुख्य धारा में लाते हुए शीर्ष की ओर ले जाती हुई दिखाई देती है ।
न अरि: इति नारी अर्थात् जिसका कोई शत्रु न हो । यह भी शाश्वत सत्य है कि शत्रु उसी व्यक्ति के होते हैं जो किसी का अहित सोचता या करता है। नारी स्वभावत: किसी का अहित न चाहती है और न करती है। इससे सिद्ध होता है कि नारी जन्मजात सर्व शुभेच्छुणी होती है । उसे सृष्टि की निर्मात्री व प्रलय की कारिका कहा गया है ।

समृद्ध इतिहास व महान संस्कृति के कारण ही भारत का पूरी दुनिया में विशेष महत्व रहा है, आज भी है और आगे भी रहेगा। हमारी संस्कृति एक जीवंत संस्कृति है। सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है जो अपने समय में सबसे विकसित थी और आज भी सर्वाधिक आदर्श एवं नेतृत्वकारी है। नारी हमेशा हर संस्कृति के केंद्र में रहते हुए भी केंद्र से दूर रही है। सिमोन द बाउवार ने एक स्थान पर लिखा –

‘स्त्री पैदा नहीं होती बल्कि बनाई जाती है ।’
विश्व का हर समाज स्त्री को अपने अनुसार ढालता आया है। उसके सोचने से लेकर उसके जीवन जीने के ढंग को पुरुष अभी तक नियंत्रित ही करता आया है और आज भी वैसा ही करने की कोशिश में लगा रहता है।

आर्ष काव्य अर्थात् ऋषि प्रणीत काव्य ‘रामायण’ में कन्या को माता पिता के लिए पुण्य का साधन वर्णित किया गया है। विवाह में कन्या दान करने से पृथ्वी दान का पुण्य मिलता है। रामायण में धर्म युक्त काम को ही अधिक महत्व दिया गया है। ‘धर्म रति:’ अर्थात् रति धर्म से युक्त होनी चाहिए।

बाइबिल के पुराने नियम के अनुसार स्त्री को परमेश्वर की सृष्टि माना जाता है। अदन वाटिका की घटना के बाद स्त्री को पुरुष के अधीन रहने की व्यवस्था दे दी गई ।
बाइबिल के नये नियम के अनुसार प्रारम्भिक चर्च में नेतृत्व के पदों पर महिलाओं के नाम हैं। इस बदले दृष्टिकोण से कला और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए हैं।
कुरआन पाक में बहुत सुंदर उल्लेख है कि मां के प्रति कृतज्ञ होने का मतलब मेरे खुदा के प्रति कृतज्ञ होना है।

पुस्तक में स्थान देने के लिए महान महिलाओं का चयन लेखक ने बड़ी संजीदगी से किया है। भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भाव से भक्ति करने वाली मीराबाई, भारत की प्रथम महिला शासक रजिया सुल्तान, दक्षिण भारत के केलाडी राज्य में लगातार पच्चीस साल शासन करने वाली रानी चेनम्मा, प्रथम स्वाधीनता संग्राम की अमर सेनानी बेगम हजरत महल, महान समाज सुधारक ज्योतिबा फूले, वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई, महान कैथोलिक शासक इसाबेला थोबर्न, भारत को अपना घर समझकर राजनीतिक चेतना जगाने वाली एनी बेसेंट, महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली लेडी अबाला बोस , स्वामी विवेकानंद से दीक्षा लेकर अंग्रेजियत छोड़ने वाली बहन निवेदिता, महात्मा गांधी के हर संघर्ष में छाया की भांति साथ निभाने वाली कस्तूरबा गांधी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मैडम भीकाजी कामा, अमेरिका में रिफार्म्ड चर्च की भारत में तीसरी पीढ़ी की अमेरिकी चिकित्सा मिशनरी इडा सोफिया स्कडर तथा साहित्यिक व राजनीतिक नेता भारत कोकिला सरोजिनी नायडू-इन सभी के राष्ट्रवादी चरित्रों को नई पीढ़ी तक विस्तार से पहुंचाने का लेखक का यह कार्य स्तुत्य है।

इसके अतिरिक्त अद्भुत संयमी संत माता आनंदमयी , राष्ट्रीय आंदोलनों में अति सक्रिय रहने वाली तथा लगातार तीस वर्ष तक महाविद्यालय की रहीं प्राचार्या कुमारी लज्जावती, राष्ट्रीय चेतना की सजग कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान, हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती महादेवी वर्मा, स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों की प्रमुख सहयोगी दुर्गा भाभी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दुर्गा बाई देशमुख , भारत छोड़ो आंदोलन की सक्रिय कार्यकर्ता अरुणा आसफ अली, नोबेल शांति पुरस्कार से समलंकृत भारत रत्न मदर टेरेसा, देशहित में शहीद हुईं श्रीमती इंदिरा गांधी, प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ऊषा मेहता, अभिनेत्री से कहीं ज्यादा रहीं समाज सेविका नरगिस दत्त , सौंदर्य में अप्रतिम किंतु आदर्श चरित्र की निर्वाहिका अभिनेत्री मधुबाला, भारतीय पुलिस सेवा की प्रथम महिला अधिकारी व राज्यपाल किरण बेदी एवं उड़न परी पी टी उषा जैसे चरित्रों पर चिंतन,मनन व लेखन करके लेखक की लेखनी ने शांति व आनंद की अनुभूति की है। समस्त जीवनियां विषय वस्तु,शिल्प, संक्षिप्तता तथा प्रकाशन स्तर की दृष्टि से अच्छी हैं । महापुरुषों का चरित्र जन जन पहुंचना चाहिए । साहित्य सृजन का यह सबसे बड़ा उद्देश्य होता है जिसे पुस्तक प्रणेता ने तटस्थ भाव से पूरा किया है। कई स्थानों पर वर्तनी- अशुद्धियां भी हैं जो प्रूफ रीडिंग की कमी का परिणाम है। लोक कल्याणकारी कार्य करने हेतु समादृत लेखक अकबाल बहादुर ‘ए राही ‘ जी को बार-बार नमन- धन्यवाद ।

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