बदायूँ । आलू की फसल में पिछेता-झुलसा बीमारी के प्रकट होने के पूर्वानुमान के संबंध में जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार ने जानकारी देते हुए किसानों को अवगत कराया है कि आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का पर्णीय छिड़काव नहीं किया है या जिनकी आलू की फसल में अभी पिछेता झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है, उन सभी किसान भाईयों को यह सलाह दी जाती है कि वे मैन्कोजेब/प्रोपीनेब/क्लोरोथेलोंनील युक्त फफूंदनाशक दवा का रोग सुग्राही किस्मों पर 0.2-0.25 प्रतिशत की दर से अर्थात 2.0-2.5 किग्राम दवा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव तुरन्त करें।
साथ ही यह भी सलाह दी जाती है कि जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो उनमें किसी भी फफूंदनाशक साईमोक्सेनिल $ मैन्कोजेब का 3.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा फेनोमिडोन $ मैन्कोजेब का 3.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा हाईमेथोमार्फ 1.0 किग्रा $ मैन्कोजेब का 2.0 किलोग्राम (कुल मिश्रण 3.0 किग्रा) प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से छिड़काव करें। फफूंदनाशक को दस दिन के अंतराल पर दोहराया जा सकता है, लेकिन बीमारी की तीव्रता के आधार पर इस अंतराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। किसान भाईयों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक फफूंदनाशक को बार-बार छिड़काव न करें एवं बारिश के दौरान फफूंदनाशक के साथ स्टीकर को 0.1 प्रतिशत की दर से (1.0 मिली0 प्रति लीटर पानी) के साथ मिलाकर प्रयोग करें, जिससे आलू फसल बीमारी का बचाव किया जा सके।