अपने अंदर के अंधकार को हटाकर उसे प्रकाश में बदलिए : विजय कौशल महाराज

हमीरपुर : निवादा गांव में चल रही श्रीराम कथा महायज्ञ के छठवें दिन कथाव्यास ने भगवान श्री राम के वन से लौटने के बाद उनके राजतिलक की कथा सुनाई। छठवें दिन कथा सुनने को श्रोताओं की खासी भीड़ रही।
मुस्करा ब्लाक के निवादा गांव में चल रही दस दिवसीय कथा के छठवें दिन संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि यह जो अमृत रूपी वर्षा हो रही है, इसकी कुछ बूंदें आपके ऊपर भी गिर जाएं। आपके अंदर वास अंधकार को हटाकर उसे प्रकाश में बदलिए। सत्य की ओर जाएं, असत्य को छोड़िए। भगवान वापस पत्नी सहित अयोध्या लौट आते हैं और उनके राजतिलक की तैयारी होती है। इधर गुरु वशिष्ठ अयोध्या पहुंचे। गुरु जी ने समाचार भेजा कि हमें राघव से मिलना है। यह सुनते ही भगवान राम नंगे पांव दौड़े चले आए और बोले मुझे बुला लिया होता आप क्यों परेशान हुए। बोले सेवक के द्वारा मैं आपका आगमन निश्चित ही मेरे भाग्य खुलने वाले है। गुरु जी बोले कि मुझे एक बहुत जरूरी बात तुमसे करनी थी, इसलिए मुझे आना पड़ा। कहा कि आज की रात सारे संयम करना, मनसा वाचा फलाहार ग्रहण करना, क्योंकि कल तुम राजगद्दी में बैठने वाले हो और गद्दी में बैठने से पूर्व राजा को उस देश का गुरु संयम का उपदेश देने जाता है। कहा कि सत्ता भोग के लिए नहीं आती सत्ता सेवा के लिए आती है। अपने और अपने परिवार के विकास के लिए नहीं आती। सत्ता समाज के उत्थान के लिए होती है। इस समय अयोध्या में चारों ओर ढोल नगाड़े बज रहे हैं। उनके राजतिलक की तैयारी हो रही है। देवताओं ने बताया यदि प्रभु श्री राम राजगद्दी में बैठ गए तो हमारे देव लोक खाली पड़े रहेंगे। रावण का अत्याचार सहना पड़ेगा। इसलिए कुछ भी करके भगवान राम राजगद्दी पर बैठने न पाए। इस तरह से भगवान राम गद्दी पर न बैठकर वनवास को गए। वहीं डा. आशीष सिंह गौतम ने सभी का आभार जताया।

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