बाराबंकी से विहार करके त्रिलोकपुर पहुँची
त्रिलोकपुर| सर्वाधिक दीक्षा प्रदात्री गणिनी आर्यिका 105 विशुद्ध मति माताजी बाराबंकी में जन्म जयंती मनाने के बाद विहार करके जैन धर्म के अतिशय क्षेत्र त्रिलोकपुर पहुची तो यंहा के जैन समाज ने बैंड बाजे के साथ भव्य स्वागत किया।
जैन समाज की व्यवस्थापक टीम के मुकेश जैन राजू जैन नमन जैन सुनील जैन अंकुर जैन कल्याण जैन ने बताया कि
श्री दिगम्बर जैन मंदिर बाराबंकी में आर्यिका शिरोमणि विशुद्ध मती माता जी के 75वें हीरक जन्म जयंती समारोह के सम्पन के बाद कस्बा त्रिलोकपुर भगवान नेमिनाथ मंदिर पहुची माता जी का 10 किलो मीटर दूर ग्राम भयारा से अगुवाई करके मंदिर लाया गया।
जलाभिषेक आदिनाथ विधान समेत धार्मिक कार्य संपन्न हुए। इसके बाद आर्यिका माता जी ने अपने प्रवचन में कहा कि जो व्यक्ति धर्म को साथ लेकर चलता है धर्म भी उसका साथ कभी नही छोड़ता। चाहे जितनी मुश्किल घड़ी हो। धर्म गलत कामो पर अंकुश लगाने का काम करता है। जैन समाज ने बताया कि गुरू मां गाणिनी आर्यिका विशुद्ध मति माताजी का जन्म ग्वालियर के लश्कर में 1949 मे हुआ था। 13 वर्ष की आयु में शुद्र जल का त्याग कर दिया। 14 वर्ष की उम्र मे ब्रहम्चार्य व्रत धारण कर संत साधुओं की उत्कृष्ठ प्रक्रिया केश लोच की प्रक्रिया प्रारंभ की।