हाल ए विकासखंड बख्शी का तालाब

अमृत’ के लिए तरस रहे सरोवर, पानी की जगह उड़ रही धूल

  • 36 अमृत सरोवरों में से 16 अभी भी अधूरे, अधिकांश में नहीं है एक बूंद पानी, 10 घनमीटर होना था पानी का ठहराव
  • गुणवत्ताहीन हुए काम के कारण जलाशयों में नहीं रुका पानी, जिले में योजना पर फिरा पानी

निष्पक्ष प्रतिदिन/बीकेटी, लखनऊ

अप्रैल माह में ही तेज धूप, गर्म हवाओं के थपेड़े लोगों को झुलसा रहे हैं। हर हलक को गला तर्र करने के लिए पानी की जरुरत है। केंद्र सरकार ने तालाबों का स्वरूप बदलने और हमेशा गांवों में निस्तार के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने, भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने महात्वाकांक्षी योजना ‘अमृत सरोवर योजना’ शुरू की गई। इस योजना में खामी कहें या फिर निगरानी का अभाव या फिर गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य, कि अधिकांश सरोवरों में अमृत रूपी पानी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा। जिन सरोवरों को पानी से लबालब रहना चाहिए, उन सरावरों में धूल उड़ रही है।विकासखंड कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार क्षेत्र में कुल 36 अमृत सरोवर निर्माण हुआ है।

गौरतलब है कि अमृत सरोवर योजना का शुभारंभ आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत 24 अप्रेल 2022 को गई थी। प्रत्येक विकासखंड को लक्ष्य दे दिया गया था। अमृत सरोवरों में करीब 10 हजार घनमीटर पानी सहेजने की क्षमता तय की जानी थी, लेकिन मौजूदा समय एक घनमीटर भी पानी अमृत सरोवरों में नहीं है। इतनी राशि खर्च करने के बाद भी न तो समय में इनका निर्माण पूरा हो पा रहा है और ना ही सार्थकता साबित हो रही।

पानी न रुकने पर अफसरों का अजीब तर्क
अमृत सरोवरों में पानी न रुकने के पीछे खंडविकास के अधिकारियों सहित अन्य अफसरों का अजीब तर्क सामने आया है। अफसरों व इंजीनियरों का कहना है कि पहले वर्ष में तालाब के बंड (मेड़) फटने का डर बना रहता है, इसलिए ज्यादा पानी नहीं रोका जाता। पहली बारिश में बेस मजबूत हो जाता है, इसके बाद फिर जलाशयों को भरा जाता है। अधिकांश जलाशयों में बूंद पानी नहीं है और जिले के अधिकारी सरोवरों के नाम में अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।

यह है सरोवर निर्माण का उद्देश्य

जल संरक्षण के उद्देश्य से ही इन अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ है। मनरेगा विभाग द्वारा निर्मित इस अमृत सरोवर में एक बूंद पानी का सृजन नहीं हो सका है। जिसके चलते यह अमृत सरोवर मृत समान लग रहे हैं। जल स्तर बढ़ाने, जलीय जीव-जंतु के पानी की उपलब्धता, मवेशियों से लेकर आम आदमी को भी यह अमृत सरोवर कोई लाभ नहीं दे पा रहे। सरोवर की मेड़ों पर पौधे लगाने का कार्य भी नहीं हो पाया। अमृत तुल्य जल उपलब्ध कराने, मछली पालन से रोजगार उपलब्ध कराने, सिंचाई आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्यों को लेकर शुरू हुए अमृत सरोवरों का निर्माण का लाभ विकासखंड के लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। है। मानसून आने के अब कुछ दिन शेष हैं, ऐसे में अभी आधे-अधूरे जलाशय अपनी कहानी बयां कर रहे हैं।

– प्रत्येक अमृत सरोवर में 14 से 15 लाख रुपए किए गए हैं खर्च, कई बने हैं गुणवत्ताहीन, फिर भी नहीं हुए गुणवत्ता की जांच

– अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए पंचायतों को बनाया गया था निर्माण एजेंसी, जमकर की गई है मनमानी

– सरोवरों के निर्माण में 15वें वित्त की राशि भी की गई है खर्च, जिसमें मिट्टी खुदाई आदि में ठेकेदारों के माध्यम से मशीनरी का किया गया है उपयोग

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