राणे ने शंकराचार्यों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राजनीतिक चश्मे से देखने का आरोप लगाया….

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने शनिवार को कहा कि शंकराचार्यों को राम मंदिर के कुछ पहलुओं की आलोचना करने के बजाय अपना आशीर्वाद देना चाहिए। उन्होंने शंकराचार्यों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राजनीतिक चश्मे से देखने का आरोप भी लगाया।

राणे ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि समाज और हिंदू धर्म को लेकर शंकराचार्यों को अपना योगदान बताना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा- ‘अब तक ऐसा कोई नहीं कर पाया। मोदी और भाजपा ने इस मुद्दे को उठाया और मंदिर बनाया जा रहा है। क्या उन्हें मंदिर को आशीर्वाद देना चाहिए या इसकी आलोचना करनी चाहिए? इसका मतलब है कि शंकराचार्य प्रधानमंत्री मोदी को राजनीतिक चश्मे से देखते हैं। यह मंदिर राजनीति के आधार पर नहीं, बल्कि धर्म के आधार पर बना है। राम हमारे भगवान हैं।’

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के इस बयान पर कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन करना चाहिए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे जिसके पास कोई काम नहीं है और जो घर पर बैठा है।

राणे ने दावा किया कि ठाकरे गुट को अभी और अधिक झटका लगेगा क्योंकि उसके 16 में से आठ विधायक महाराष्ट्र में भाजपा नीत सत्तारूढ़ गठबंधन से संपर्क कर रहे हैं और वे जल्द ही इसमें शामिल हो जाएंगे। जून 2022 में तत्कालीन शिवसेना के ज्यादातर विधायकों के एकनाथ शिंदे के साथ चले जाने के बाद शिवसेना दो धड़ों में बंट गई और शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने।

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