नैमिषारण्य/सीतापुर। ढोल मंजीरे की करतल ध्वनि के बीच बोल कड़ाकड़ सीताराम का गगनभेदी उद्द्घोष बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी आस्था के साथ करते चले जा रहे थे।
सोमवार की ब्रह्म बेला में नैमिषारण्य के मां ललिता देवी मंदिर तिराहे पर धर्म, आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम अलौकिक व अविस्मरणीय छटा बिखेरता नजर आया। पहला आश्रम के महंत ने डंका (नगाड़ा) बजाना शुरू किया तो अफसरों ने संत-महंतों व परिक्रमार्थियों पर पुष्प बरसाए। पारंपरिक डंके की ध्वनि के वातावरण में गुंजायमान होते ही श्रद्धालु 84 कोसी परिक्रमा के पहले पड़ाव कोरौना की ओर रवाना हो गए। इस परिक्रमा में 11 पड़ाव हैं। परिक्रमा 21 मार्च को अपने अंतिम पड़ाव मिश्रिख पहुंचेगी। परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुविधा व सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन की टीमें लगाई गई हैं। सोमवार की भोर 3:00 बजे से परिक्रमार्थियों ने आदि गोमती गंगा व चक्रतीर्थ में स्नान व दर्शन-पूजन का क्रम शुरू कर दिया। सुबह 6 बजकर 22 मिनट पहला आश्रम के महंत नन्हकू दास अपने शिष्यो समेत मां ललिता देवी तिराहे पर पहुंचे एक घोड़े पर सवार उनका शिष्य नगाड़े से सुसज्जित था, महंत को देखकर श्रद्धालु ढोल-मंजीरे व साधु-संत घंटे घड़ियाल बजाने के साथ शंखनाद शुरू कर देते हैं। घोड़े पर सवार साधु ने डंका बजाया।
चक्रतीर्थ पुजारी राजनारायण पांडेय ने वैदिक मंत्रोचार किया।
इस दौरान 84 कोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष व पहला आश्रम महंत नारायण दास नन्हकू, श्री व्यासपीठाधीश्वर श्री अनिल कुमार शास्त्री, महन्त सन्तोष दास, साध्वी सरोज देवी, रामानुज कुमारी, विद्यानन्द, रंजीत शास्त्री, रामू दीक्षित के साथ मिश्रिख एसडीएम पंकज कुमार सक्सेना, तहसीलदार सौरभ यादव, लेखपाल कुलदीप सिंह, ईओ लालचंद, मिश्रिख सीओ राजेश कुमार यादव ,मेला प्रभारी कृष्णनंदन तिवारी नैमिष थाना इंचार्ज पंकज तिवारी एवं नैमिषारण्य चौकी प्रभारी निर्मल तिवारी इत्यादि शामिल रहे।