राम हों या कृष्ण, शंकराचार्य हों या विवेकानंद, युवाओं ने हर कालखंड में दी समाज को नई दिशाः सीएम योगी

यूथ-20 समिट के उद्घाटन में शामिल हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

सीएम बोले- हमें विशिष्ट बनाती है डेमोग्रॉफी, डेमोक्रेसी व डायवर्सिटी की त्रिवेणी

मुख्यमंत्री ने युवाओं का बढ़ाया हौसला, बोले- युवा आज का नेता और कल का निर्माता है

दुनिया के नागरिकों के लिए आकर्षण का केंद्र है भारत: योगी

पीएम मोदी ने युवाओं की प्रतिभा को बढ़ाने के लिए दिया मंच: सीएम

लखनऊ/वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब मैं युवा साथियों के बारे में सोचता हूं, कहीं से लगता है कि युवाओं की प्रतिभा पर प्रश्न खड़ा करने का प्रयास किया जाता है तो मुझे इस बात का दुख होता है कि कौन सा ऐसा कालखंड नहीं था, जब युवाओं ने अपनी प्रतिभा व ऊर्जा से समाज को नई दिशा न दी हो। प्राचीन काल से भारत की व्यवस्था को देखें तो युवाओं ने अपने समय में अनेक कार्य किए। युवा शक्ति के रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम भी याद आते हैं, उन्होंने संकल्प लिया था ‘निसचर हीन करऊं महि, भुज उठाई पन कीन्ह’… जब भारत की धरती से उन्होंने राक्षसी प्रवृत्ति को पूरी तरह समाप्त करने का आह्वान किया था, तब राम युवा ही थे। मथुरा को कंस व राक्षसों के अत्याचार से मुक्त करने वाले ‘परित्राणाय साधुनाम्, विनाशाय च दुष्कृताम्’ का आह्वान करने वाले श्रीकृष्ण भी युवा ही थे। दुनिया को निर्माण का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध, ज्ञान प्राप्त करने के बाद पहला उपदेश इसी सारनाथ में देते हैं, तब वे भी युवा ही थे।

यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को वाराणसी में कहीं। वे रुद्राक्ष इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, सिगरा में जी-20 के तहत आयोजित यूथ-20 समिट के उद्घाटन कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री व वाराणसी के सांसद व नरेंद्र मोदी का आभारी हूं, जिन्होंने जी-20 समिट से जुड़े कई समिट के आयोजन का अवसर यूपी को दिया। इसमें वाई-20 का मुख्य समिट वाराणसी में आयोजित हो रहा है। सीएम ने उम्मीद जताई कि वाई-20 का यह समिट दुनिया भर के युवाओं के लिए नई प्रेरणा का संदेश देकर जाएगा।

रानी लक्ष्मीबाई, महाराणा प्रताप, अभिमन्यु, वीर सावरकर भी युवा ही थे
सीएम ने कहा कि भारत के अंदर चार कोनों में चार पीठों की स्थापना करने वाले व भारत की सांस्कृतिक एकता को मजबूती प्रदान करने वाले आदि शंकर मात्र 32 वर्ष तक ही जीवित रहे। स्वामी विवेकानंद ने भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाने का कार्य किया। उन्होंने महज 39 वर्ष ही जीवन जिया। स्वामी प्रणवानंद ने मात्र 42 वर्ष का जीवन जीया था। ‘सवा लाख से एक लड़ाऊं’ का उद्घोष करने वाले गुरु गोविंद सिंह, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी जी महाराज भी युवा ही थे। रानी लक्ष्मीबाई काशी में जन्मी थीं। मात्र 23 वर्ष की आयु में झांसी की आजादी के लिए युद्ध लड़ा था। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का उद्घोष करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी युवा ही थे। भारत की आजादी के लिए क्रांतिदूत बनकर बलिदान देने वाले चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, सुखदेव, राजगुरु, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह आदि क्रांतिकारी युवा ही थे। विनायक दामोदर सावरकर को मात्र 28 वर्ष की आयु में दो बार आजीवन कारावास की सजा हुई, वे भी युवा ही थे। महाभारत का वह दृश्य, जिसमें 16 वर्ष का अभिमन्यु चक्रव्यूह को भेदता हुआ कौरवों के छक्के छुड़ाता है। वह युवा ही थे। फ्रांस के लुईस ब्रेल ने 15 वर्ष की आयु में दृष्टिहीनों के लिए लिपि की खोज की थी। सापेक्षता का सिद्धांत देने वाले आइंस्टीन की आयु उस समय मात्र 16 वर्ष थी। गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत देने वाले न्यूटन की आयु उस समय मात्र 23 वर्ष की थी।

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