गुवाहटी। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल की एक टिप्पणी से बवाल हो गया है। दरअसल, कपिल ने 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान कहा था कि पूर्वोत्तर राज्य कभी म्यांमार का हिस्सा था।
उनके इस बयान पर अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पलटवार किया है। उन्होंने इस तरह के दावे को पूरी तरह से नकारते हुए कहा कि जो लोग असम के इतिहास के बारे में नहीं जानते उन्हें इसके बारे में नहीं बोलना चाहिए।
इतिहास नहीं पता तो बोलना नहीं चाहिए
संवाददाताओं से बात करते हुए सरमा ने कहा, ‘जिन्हें कोई ज्ञान नहीं है, उन्हें नहीं बोलना चाहिए। असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था। थोड़ी देर के लिए झड़पें हुईं थी और बस यही रिश्ता था। मैंने ऐसा कोई डेटा नहीं देखा है जिसमें कहा गया हो कि असम म्यांमार का हिस्सा था।’
क्या है पूरा मामला?
5 दिसंबर को नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। इस दौरान सिब्बल ने कहा कि एक संधि के तहत अंग्रेजों को सौंपे जाने से पहले असम मूल रूप से म्यांमार का हिस्सा था।
सिब्बल की टिप्पणी
सिब्बल ने यह टिप्पणी तब की जब वह पूरे इतिहास में जनसंख्या आंदोलनों का पता लगाने की जटिलता पर जोर दे रहे थे। इसमें म्यांमार का हिस्सा बनने से लेकर ब्रिटिश शासन के तहत इसके बाद के शासन और विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल के साथ जुड़ाव तक असम के ऐतिहासिक विकास पर प्रकाश डाला गया था। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा, लोगों और आबादी का प्रवासन इतिहास में अंतर्निहित है और इसका मानचित्रण नहीं किया जा सकता है। अगर आप असम के इतिहास को देखें, तो आप महसूस करेंगे कि यह पता लगाना असंभव है कि कौन कब आया था?’
उन्होंने कहा कि असम मूल रूप से म्यांमार का हिस्सा था। 1824 में ब्रिटिशों द्वारा इस क्षेत्र के एक हिस्से पर कब्जा करने के बाद एक संधि की गई थी जिसके द्वारा असम को ब्रिटिशों को सौंप दिया गया था। आप कल्पना कर सकते हैं कि तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य के संदर्भ में लोगों का किस तरह का आंदोलन हुआ होगा।